आंदोलनकारियों के साथ यह कैसा अन्याय ! चार दिन बाद भी अनशनकारियों की स्वास्थ्य जांच नहीं, अबतक जनप्रतिनिधियों ने नहीं ली सुधि
आमरण अनशन पर बैठी है जयदा गोलीकांड के शहीद पहाडू महतो की पोती सुशीला महतो
चांडिल। सरायकेला – खरसावां जिले के चांडिल स्थित सुवर्णरेखा बहुउद्देश्यीय परियोजना के अंचल सह प्रमंडल कार्यालय के समक्ष अस्थायी कर्मचारियों की अनिश्चितकालीन आमरण अनशन जारी है। बीते 25 जून से अपनी मांगों को लेकर कुल 11 कर्मचारी आंदोलन कर रहे हैं। यहां जयदा गोलीकांड के शहीद पहाडू महतो की पोती सुशीला महतो समेत 11 कर्मचारी अनशन पर बैठे हैं। अनशन के चार दिन बाद भी प्रशासन ने इसे गंभीरता से नहीं लिया है। यहां कड़ी धूप और गर्मी में एक तिरपाल टांगकर सभी अनशन पर बैठे हैं। आंदोलनकारियों ने कहा कि अबतक प्रशासन के किसी भी अधिकारी ने उनके आंदोलन स्थल पर जाना उचित नहीं समझा है। वहीं, चार दिन बाद भी स्वास्थ्य विभाग की टीम ने स्वास्थ्य जांच नहीं किया है। आंदोलनकारियों ने बताया कि चार दिन बाद भी सांसद और विधायक ने उनकी सुधि नहीं ली है। हालांकि, सांसद संजय सेठ (केंद्रीय रक्षा राज्यमंत्री) फिलहाल दिल्ली में हैं, वहां सदन की कार्यवाही में भाग लेने गए हैं।
बता दें कि सुवर्णरेखा बहुउद्देश्यीय परियोजना के अंतर्गत अस्थायी तौर पर काम करने वाले 11 कर्मचारियों को काम से हटा दिया गया है। इसमें सेवक सिंह मानकी, रविंद्र तिवारी, सुशीला महतो, पार्वती उरांव, हेमंती सोरेन, गुड़िया कालिंदी, मंगली देवी, आनंद महतो, रंजीत उरांव, ब्रम्हानंद रक्षित, कृष्णा महतो शामिल हैं। ये अस्थायी कर्मचारी परियोजना के अतिथिशाला, शीश महल, प्रमंडल कार्यालय आदि जगहों पर साफ सफाई, चौकीदार, माली इत्यादि के रूप में कार्यरत थे। बीते 8 मई को कार्यालय से आधिकारिक घोषणा करके इन्हें काम से हटा दिया गया है।
30 अप्रैल 1978 को चांडिल डैम परियोजना के खिलाफ तत्कालीन ईचागढ़ विधायक घनश्याम महतो के नेतृत्व में आयोजित जनसभा में बिहार पुलिस ने ताबड़तोड़ गोलियां चलाई थी, जिसमें पहाडू महतो, गदाधर महतो समेत कई विस्थापित शहीद हुए थे। उन्हीं शहीदों में पहाडू महतो की पोती सुशीला महतो पिछले 12 वर्ष से दैनिक वेतनभोगी मजदूर के रूप में सुवर्णरेखा बहुउद्देश्यीय परियोजना के लिए काम कर रही थी लेकिन अब उन्हें भी काम से हटा दिया गया है। सुशीला महतो अपने परिवार का भरण पोषण करने के लिए पुनः वही दैनिक वेतनभोगी मजदूरी करना चाहती हैं, इसलिए पिछले 4 दिनों से अपने साथी कर्मचारियों के साथ आमरण अनशन पर बैठी हैं।