ईचागढ़ में अच्छे उम्मीदवारों की कमी नहीं फिर क्यों चुनें गैर मतदाता विधायक? इस बार चुनाव लड़ने वाले गैर मतदाता उम्मीदवारों की राह आसान नहीं, स्थानीय उम्मीदवारों ने कसी कमर – चुनाव से पहले ही छाया स्थानीय विधायक का मुद्दा
ईचागढ़ में अच्छे उम्मीदवारों की कमी नहीं फिर क्यों चुनें गैर मतदाता विधायक? इस बार चुनाव लड़ने वाले गैर मतदाता उम्मीदवारों की राह आसान नहीं, स्थानीय उम्मीदवारों ने कसी कमर – चुनाव से पहले ही छाया स्थानीय विधायक का मुद्दा
Political Analysis
कोल्हान का ईचागढ़ विधानसभा ऐसा क्षेत्र है, जहां वर्ष 1990 से गैर मतदाता उम्मीदवार ही चुनाव में जीत हासिल कर रहे हैं। 1990 से 2000 तक गैर मतदाता विधायक रहने के बाद ईचागढ़ विधानसभा के मतदाता उम्मीदवारों एवं स्थानीय नेताओं ने गैर मतदाता उम्मीदवारों के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है लेकिन बीते 25 वर्ष के अंतर्गत संपन्न हुए पांच विधानसभा चुनाव में एक बार भी सफलता हासिल नहीं पाया है, जिसकी टिस हर स्थानीय नेता के मन में है।
दरअसल, हर गैर मतदाता उम्मीदवारों के जीत के पीछे ईचागढ़ विधानसभा के स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं की ही सबसे अहम भूमिका होती हैं लेकिन जब उन्हीं नेताओं और कार्यकर्ताओं को गैर मतदाता उम्मीदवारों से तवज्जों नहीं मिलती हैं अथवा मोह भंग हो जाता है तो स्थानीय उम्मीदवार के मुद्दे पर राजनीति में उतर जाते हैं। वर्ष 2000 में सबसे पहले हिकीम चंद्र महतो ने ही स्थानीय मतदाता विधायक के मुद्दे पर बतौर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़े थे। हालांकि, हिकीम चंद्र महतो के अलावे अन्य स्थानीय उम्मीदवार भी चुनावी मैदान में थे, लेकिन हिकीम महतो की उपस्थिति सबसे ज्यादा मजबूत देखा गया था। इसके बाद लगातार हर बार विधानसभा चुनाव में स्थानीय विधायक के मुद्दे पर कोई न कोई उम्मीदवार मजबूती से चुनाव लड़ते हैं लेकिन द्वितीय स्थान से आगे नहीं बढ़ पाते हैं। वर्ष 2000, 2009 तथा 2019 के चुनाव में क्रमशः हिकीम चंद्र महतो, विश्वरंजन महतो व हरेलाल महतो ने जोरदार तरीके से स्थानीय विधायक को चुनावी मुद्दा बनाया था और द्वितीय स्थान प्राप्त किया था। इसके अलावा पूर्व जिला परिषद उपाध्यक्ष देवाशीष राय, गुरुचरण किस्कु, खगेन महतो, नारायण गोप, बोनु सिंह सरदार, कुसुम कमल सिंह, जगदीश महतो, गुरुपद महतो आदि अनेकों स्थानीय उम्मीदवारों ने किस्मत आजमाया था। परंतु, बीते 35 वर्षों में किसी भी स्थानीय उम्मीदवार अपने अभियान में सफल नहीं हो पाया है। शायद स्थानीय नेताओं और मतदाता उम्मीदवारों में आपसी तालमेल और एकजुटता की कमी रहती हैं, जिसके कारण उन्हें सफलता प्राप्त नहीं होता है।
परंतु, आगामी कुछ महीनों बाद होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए स्थानीय मतदाता उम्मीदवारों ने अपनी कमर कस ली है और इस बार गैर मतदाता उम्मीदवारों को पटखनी देने की पूरी तैयारी के साथ चुनावी मैदान में उतरने की चर्चा है। आगामी विधानसभा चुनाव के संभावित स्थानीय उम्मीदवारों ने एक ही मुद्दे को प्राथमिकता दी है जो गैर मतदाता उम्मीदवारों के लिए खतरे की घंटी है। आगामी विधानसभा चुनाव के लिए हरेलाल महतो, सुखराम हेम्ब्रम, देवाशीष राय, मधुसूदन गोराई, खगेन महतो आदि संभावित उम्मीदवार हैं। ये सभी ईचागढ़ विधानसभा के स्थानीय मतदाता भी हैं। जबकि, गैर मतदाता उम्मीदवार ईचागढ़ से चुनाव तो लड़ते हैं लेकिन स्वयं अपना वोट भी नहीं डाल पाते हैं।
ईचागढ़ विधानसभा में अच्छे उम्मीदवारों की कमी नहीं फिर क्यों चुनें गैर मतदाता विधायक?
ईचागढ़ विधानसभा में अच्छे और गुणवान स्थानीय उम्मीदवारों की कमी नहीं है। अबतक जितने भी चुनाव हुए हैं उनमें एक से बेहतर एक स्थानीय उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा है लेकिन वोटों के ध्रुवीकरण और स्थानीय नेताओं की आपसी एकजुटता की कमी के कारण सफलता प्राप्त नहीं हो पाया है। वैसे तो हर बार चुनाव के समय स्थानीय विधायक का मुद्दा गर्म रहता है लेकिन इस बार चुनाव के काफी पहले से पहले ही यह मुद्दा विधानसभा क्षेत्र में छाया हुआ है।
आजसू पार्टी के केंद्रीय महासचिव हरेलाल महतो आगामी विधानसभा चुनाव के संभावित उम्मीदवार हैं, जो बीते पांच वर्ष से लगातार क्षेत्र में सक्रिय हैं। हरेलाल महतो क्षेत्र के विभिन्न मुद्दों के साथ साथ लोगों के बीच स्थानीय भूमिपुत्र विधायक के मुद्दे पर जरूर बात करते हैं। यानी कि वह भी स्थानीय विधायक के मुद्दे के समर्थन पर खड़े हैं। 2019 के विधानसभा में हरेलाल महतो आजसू पार्टी के उम्मीदवार थे, जिन्होंने महज छह महीने की तैयारी में चुनाव लड़कर द्वितीय स्थान प्राप्त किया था। हाल के दिनों में आजसू पार्टी के सुप्रीमो सुदेश कुमार महतो ने पार्टी के एक कार्यक्रम में खुले तौर पर हरेलाल महतो को बतौर एनडीए गठबंधन का उम्मीदवार घोषित कर दिया है लेकिन अबतक आधिकारिक घोषणा नहीं हुआ है।
इस बार झामुमो के बागी नेता सुखराम हेम्ब्रम ने भी चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। झामुमो विधायक सविता महतो (गैर मतदाता उम्मीदवार) पर कार्यकर्ताओं की उपेक्षा करने का आरोप लगाते हुए सुखराम हेम्ब्रम ने बतौर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने की घोषणा की है। बीते कुछ वर्ष से सुखराम हेम्ब्रम क्षेत्र में काफी सक्रिय हैं और बतौर स्थानीय उम्मीदवार के रूप में लोगों से समर्थन मांग रहे हैं। वैसे माना जाता है कि झामुमो विधायक सविता महतो की जीत के पीछे सुखराम हेम्ब्रम की अहम भूमिका थी। लेकिन मोह भंग होने के बाद सुखराम हेम्ब्रम इन दिनों यह कहते हुए सुने जाते हैं कि जब तक ईचागढ़ विधानसभा में स्थानीय उम्मीदवार की जीत नहीं होगी, क्षेत्र का संपूर्ण विकास और खुशहाली संभव नहीं है।
पूर्व जिला परिषद उपाध्यक्ष देवाशीष राय 2014 के विधानसभा चुनाव में बतौर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव में खड़े थे और जोरदार ढंग से माँ, माटी, मानुष का नारा बुलंद किया था। भले ही उस चुनाव में देवाशीष राय बेहतर प्रदर्शन करने से चूक गए थे लेकिन वर्तमान समय में वह स्थानीय उम्मीदवार के पक्ष में खड़े हैं। वर्तमान में देवाशीष राय भाजपा में हैं और क्षेत्र के जनसमस्याओं को लेकर मुखर रहते हैं। संगठन के विचारधारा और अनुशासन के बंधन में होने के कारण वह खुलकर स्थानीय उम्मीदवार का नारा बुलंद करने में असहज महसूस करते होंगे लेकिन उनके हृदय में स्थानीय उम्मीदवार की जीत का दृश्य देखने की लालसा है। गत 2019 के विधानसभा चुनाव में देवाशीष राय ने भी सुखराम हेम्ब्रम की तरह ही झामुमो विधायक सविता महतो के पक्ष में खुलकर काम किया था। लेकिन गैर मतदाता उम्मीदवारों की कार्यशैली उन्हें रास नहीं आई और भाजपा में शामिल होकर स्थानीय उम्मीदवार के रूप में टिकट के दावेदार बनकर सामने आए हैं।
पूर्व जिला परिषद सदस्य सह भाजपा जिला महामंत्री मधुसूदन गोराई ने भी टिकट के लिए दावेदारी पेश कर दी है। वह भी स्थानीय उम्मीदवार के पक्ष में खड़े हैं। भले ही संगठन के विचारधारा के कारण वह स्थानीय उम्मीदवार के मुद्दे पर खुलकर बात नहीं कर पाते हैं लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि भाजपा आलाकमान के सामने स्थानीय मतदाता उम्मीदवार (स्वयं) को टिकट देने की मांग की है। मधुसूदन गोराई भी ईचागढ़ विधानसभा का स्थानीय मतदाता हैं और लगातार क्षेत्र में सक्रिय हैं।
आरजेडी के पूर्व प्रत्याशी खगेन महतो ने भी आगामी विधानसभा चुनाव में बतौर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने की घोषणा की है और क्षेत्र में सक्रिय होकर विभिन्न समस्याओं के समाधान के लिए काम कर रहे हैं। 2005 के विधानसभा चुनाव में खगेन महतो आरजेडी के टिकट पर चुनाव लड़े थे लेकिन बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाए थे। शायद इस बार पूरे दमखम के साथ चुनावी मैदान में उतरने तैयारी है। खगेन महतो भी स्वयं को बतौर स्थानीय उम्मीदवार बताते हुए लोगों से समर्थन मांग रहे हैं।
निजी राय :
वर्तमान समय में ईचागढ़ विधानसभा क्षेत्र में स्थानीय उम्मीदवार का मुद्दा जोर शोर से सामने आने वाली है जो गैर मतदाता उम्मीदवारों के राह में रुकावट साबित हो सकता है। झामुमो विधायक सविता महतो ईचागढ़ विधानसभा के गैर मतदाता हैं। झामुमो के नेताओं व कार्यकर्ताओं ने मान लिया है कि आगामी विधानसभा चुनाव में भी झामुमो, कांग्रेस व राजद गठबंधन से सविता महतो ही उम्मीदवार होंगी, क्योंकि झामुमो आलाकमान फिलहाल किसी भी स्थानीय मतदाता उम्मीदवार को टिकट देने के पक्ष में नहीं है। इस परिस्थिति में झामुमो से अलग होकर स्थानीय नेता सुखराम हेम्ब्रम ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है, उन्हें झामुमो के अनेकों कार्यकर्ताओं का भी समर्थन मिल रहा है। दूसरी ओर एनडीए गठबंधन की सहयोगी आजसू पार्टी ने 2019 के चुनाव में स्थानीय उम्मीदवार हरेलाल महतो पर दांव खेला था। इस बार भी आजसू पार्टी ने हरेलाल महतो को बतौर उम्मीदवार घोषित कर दिया है लेकिन आधिकारिक तौर पर घोषणा नहीं किया गया है। अब सबकी निगाहें भाजपा के निर्णय पर टिकी हैं। भाजपा के मधुसूदन गोराई और देवाशीष राय ने बतौर स्थानीय उम्मीदवार के रूप में अपनी दावेदारी पेश की है। भाजपा के अधिकांश कार्यकर्ता भी इस बार स्थानीय उम्मीदवार चाहते हैं। यदि भाजपा आलाकमान ने कार्यकर्ताओं के ऊपर गैर मतदाता उम्मीदवार थोपने का प्रयास किया तो शायद झामुमो जैसा ही दृश्य देखने को मिल सकता है। भाजपा द्वारा गैर मतदाता उम्मीदवार घोषित किए जाने पर अधिकांश नेताओं व कार्यकर्ताओं द्वारा बगावत करने की प्रबल संभावना जताई जा रही हैं। भाजपा द्वारा गैर मतदाता उम्मीदवार को टिकट दिए जाने की परिस्थिति में सभी भाजपाई किसी दूसरे स्थानीय उम्मीदवार के समर्थन में जाने की तैयारी है। हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं है कि बगावत करने के बाद भाजपा के स्थानीय नेता व कार्यकर्ता किसे समर्थन करेंगे। कुल मिलाकर इस बार ईचागढ़ विधानसभा के सभी राजनीतिक दलों के स्थानीय नेता व कार्यकर्ता स्थानीय उम्मीदवार के पक्ष में है। गैर मतदाता उम्मीदवारों के साथ गहरे संबंध और अपने पार्टी के अनुशासन के बंधन में होने के कारण कई कार्यकर्ता खुलकर यह बात नहीं बोल पा रहे हैं लेकिन पूरे विधानसभा क्षेत्र में स्थानीय उम्मीदवार का मुद्दा गर्म है।