कुल्हाड़ी, फरसा व तीर कमान लेकर रेंजर दिनेश चंद्रा के खिलाफ आदिवासियों ने जमकर बवाल काटा – विभिन्न मांगों को लेकर दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी के कार्यालय में दलमा वनक्षेत्र प्रभावित संघर्ष समिति ने किया विरोध प्रदर्शन
चांडिल। मंगलवार को दलमा क्षेत्र के आदिवासियों ने दलमा वन्यप्राणी आश्रयणी के रेंजर दिनेश चंद्रा के खिलाफ जमकर बवाल काटा। पारंपरिक हथियारों से लैश आदिवासियों ने रेंजर के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की। वहीं, रेंजर दिनेश चंद्रा के ऊपर कई गंभीर आरोप लगाते हुए अपनी मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन किया।
दरअसल, पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत मंगलवार को दलमा वनक्षेत्र प्रभावित संघर्ष समिति द्वारा दलमा वन्यप्राणी आश्रयणी के मानगो (जमशेदपुर) स्थित कार्यालय में महा विरोध प्रदर्शन किया गया। यहां चांडिल तथा नीमडीह क्षेत्र से महिलाएं समेत बड़ी संख्या में लोग विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए। इस दौरान दलमा वनक्षेत्र प्रभावित समिति के बैनर तले आठ सूत्री मांगो को लेकर कार्यालय में प्रदर्शन किया गया। विरोध प्रदर्शन करने वाले टांगी, फरसा तलवार, दावली, तीर कमान, कुल्हाड़ी इत्यादि पारम्परिक हथियारों से लैश थे।
विरोध प्रदर्शन कार्यक्रम में झामुमो के वरिष्ठ नेता सह स्वच्छ चांडिल स्वस्थ चांडिल के संस्थापक सुखराम हेम्ब्रम ने कहा कि यदि दलमा के जंगल आज भी सुरक्षित हैं तो आदिवासियों के कारण ही यह संभव है। यदि आदिवासियों ने जंगलों की रक्षा नहीं किया होता तो वन विभाग के अधिकारी जंगलों को भी बेच देते। उन्होंने कहा कि जिन आदिवासियों ने दलमा की रक्षा की है, उन्हीं आदिवासियों को तरह तरह के नियम कानून बताकर प्रताड़ित किया जा रहा है। प्रत्येक वर्ष दलमा के विकास के नाम पर सरकारी राशि का बंदरबांट किया जाता हैं। हजारों साल से दलमा में रहने वाले लोगों को वन विभाग के अधिकारियों द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा है। दलमा में मंदिर है व सरना स्थल है, जिसके साथ विभाग द्वारा छेड़छाड़ किया जा रहा है, इसके कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सुखराम हेम्ब्रम ने बताया कि पिछले दिनों नीमडीह थाना क्षेत्र के बांधडीह निवासी डाठु सिंह को एक झूठे केस में फंसाकर वन विभाग ने जेल भेज दिया है। जबकि, डाठु सिंह वन संरक्षण समिति का सक्रिय सदस्य हैं। उन्होंने कहा कि पांचवीं अनुसूची क्षेत्र में ग्रामसभा से ऊपर वन विभाग नहीं हो सकता है। अधिकारियों को ग्रामसभा का अनुपालन करना होगा, अन्यथा इसका दुष्परिणाम भुगतना पड़ेगा।
इस दौरान नीमडीह जिला परिषद सदस्य सह आजसू नेता असित सिंह पात्र ने कहा कि दलमा में बसे आदिवासियों के हित में वन विभाग कोई काम नहीं करती हैं। वन विभाग के अधिकारी चाहें तो आदिवासियों की भलाई के लिए कई काम कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि दलमा में विकास के नाम पर लूट मची है। विभागीय अधिकारियों की चांदी है और स्थानीय लोग बेरोजगार हैं।
पूर्व जिला परिषद उपाध्यक्ष सह भाजपा नेता देवाशीष राय ने कहा कि वन विभाग ग्राम सभा के विरुद्ध काम कर रही हैं। ग्राम सभा की अनुमति के बगैर कोई भी नियम कानून लोगों के ऊपर थोपा नहीं जा सकता है। उन्होंने कहा कि वन विभाग के अधिकारी हमें बेवकूफ न समझें, हम भी नियम और कानून जानते हैं। देवाशीष राय ने कहा कि दलमा इको सेंसेटिव जोन घोषित किए जाने के बाद से ही दलमा क्षेत्र के आदिवासी मूलवासी लोगों को प्रताड़ित किया जा रहा है। इको सेंसेटिव जोन के गजट का पालन स्वयं अधिकारी ही नहीं कर रहे हैं। अमीरों के लिए अलग नियम और गरीबों के लिए अलग नियम का पालन करवाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हर साल पेड़ पौधा लगाने और वन्य जीवों के संरक्षण के नाम पर करोड़ों रुपए की लूट हो रही हैं। दलमा के जंगल से मिट्टी काटकर सड़क बनाया जाता है और फर्जी कागजात बनाकर सरकारी राशि का बंदरबांट किया जाता हैं।
पूर्व जिला परिषद सदस्य सह भाजपा महामंत्री मधुसूदन गोराई ने कहा कि दलमा क्षेत्र में रहने वाले लोगों को इन दिनों काफी ज्यादा प्रताड़ित किया जा रहा है, इसके कारण वन विभाग के प्रति लोगों का आक्रोश है। इसी कारण आज हजारों लोग वन विभाग के खिलाफ प्रदर्शन करने को पहुंचे हैं। उन्होंने बताया कि दलमा क्षेत्र के लोग रोजी रोटी कमाने के लिए जमशेदपुर आते हैं, उन गरीब मजदूरों को भी वन विभाग द्वारा तरह तरह के नियम बताकर परेशान किया जाता हैं।
विरोध प्रदर्शन के दौरान दलमा रेंजर दिनेश चंद्रा पहुंचे तो उनके खिलाफ आदिवासियों ने जमकर नारेबाजी की। इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने रेंजर को अपना मांगपत्र सौंपा। मांगपत्र में जंगली हाथियों द्वारा किसानों के फसल बर्बाद करने पर प्रति एकड़ एक लाख रुपये मुआवजा देने, जंगली हाथी द्वारा किसी व्यक्ति को जान से मारने पर दस लाख रुपये मुआवजा देने, सब्जी के फसल को जंगली जानवरों द्वारा नष्ट किए जाने पर प्रति एकड़ दस लाख रुपये मुआवजा देने की मांग है। इसके अलावा स्थानीय लोगों को अपने मवेशियों के लिए वनक्षेत्र से आहार (चारा) लाने का अधिकार देने, वनक्षेत्र में अवस्थित सरना स्थल, मंदिर, श्मशान, कब्रिस्तान आदि सार्वजनिक स्थानों से वन विभाग छेड़छाड़ बंद करे, माकुलाकोचा चेकनाका पर दो पहिया एवं चार पहिया वाहनों से टैक्स वसूली बंद करने, हर साल सड़क मरम्मत के नाम पर जंगल की मिट्टी कटाई बंद करके पक्की सड़क निर्माण करने की मांग है। वहीं, दलमा वन्यप्राणी आश्रयणी के सभी पदाधिकारियों एवं वन कर्मियों का आय से अधिक संपत्ति की सीबीआई जांच की मांग की गई।
बता दें कि नीमडीह क्षेत्र के दलमा तराई में बसे गांवों के लोगों को जमशेदपुर अथवा रांची जाने के लिए दलमा के एकमात्र कच्ची सड़क से होकर आना जाना करना पड़ता है। उक्त सड़क के बीच में वन विभाग का चेकनाका है, जहां आए दिन क्षेत्र के स्थानीय लोगों को प्रताड़ित करने का मामला सामने आता है। वहीं, पिछले दिनों नीमडीह थाना क्षेत्र के बांधडीह निवासी डाठु सिंह सरदार को वन विभाग ने जंगली सूअर शिकार करने के आरोप में जेल भेज दिया है। इन घटनाओं को लेकर क्षेत्र के लोगों में दलमा वन विभाग के प्रति काफी आक्रोश व्याप्त है।
इस मौके पर रुद्रप्रताप महतो, सुखलाल पहाड़िया, भोला सिंह सरदार, विश्वनाथ मंडल, रविन्द्र सिंह सरदार, राजाराम मांझी, दीनबंधु सिंह, फणीभूषन सिंह, सत्यनारायण मुर्मू, फटिक मंडल, पवन सिंह, माणिक सिंह सरदार समेत अन्य लोग मौजूद थे।