चांडिल : सांसद संजय सेठ द्वारा पत्र लिखकर निर्देश जारी करने के बाद भी तीन साल तक तूफान से पीड़ित परिवार को नहीं मिला मुआवजा
चांडिल। झारखंड में यह क्या हो रहा है? आम जनता अपने अधिकारों के लिए कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं। सालों साल तक वाजिब अधिकार नहीं मिल रहा है। यहां तक की जनप्रतिनिधियों के निर्देश पर भी कार्रवाई नहीं हो रही हैं। ऐसा ही एक मामला सामने आया है, जहां सांसद संजय सेठ द्वारा पत्र लिखकर निर्देश दिए जाने के बाद भी एक परिवार को तीन साल बाद भी न्याय नहीं मिला।
दअरसल, सरायकेला – खरसावां जिले के चांडिल अंचल अंतर्गत रसुनिया पंचायत के रावताड़ा निवासी संतोष कुमार महतो का घर तूफान में क्षतिग्रस्त हो गया था। घटना करीब तीन साल पहले 5 मई 2021 की है, जब यश चक्रवात तूफान आई थी। यश चक्रवात तूफान की चपेट में संतोष महतो का घर बुरी तरह से क्षतिग्रस्त होकर ध्वस्त हो गया था। इसके बाद पीड़ित संतोष महतो ने चांडिल अंचलाधिकारी को आवेदन देकर मुआवजा देने की मांग की थी। लेकिन अंचल कार्यालय की ओर से पीड़ित को मुआवजा नहीं दिया गया। दो वर्ष तक पीड़ित परिवार विभिन्न कार्यालय और नेताओं के चक्कर काटे, लेकिन कहीं से मदद नहीं मिली।
इसके बाद पीड़ित परिवार ने पिछले वर्ष 21 मई को रांची सांसद संजय सेठ से मुलाकात की और मुआवजा दिलाने की मांग की, जिसपर सांसद संजय सेठ ने सरायकेला – खरसावां के उपायुक्त को पीड़ित परिवार को मुआवजा देने का निर्देश दिया। इसके लिए सांसद ने बाकायदा अपना सांसद का लेटर पैड से उपायुक्त को पत्र लिखकर निर्देश दिया था लेकिन इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। हालांकि, सांसद के निर्देश के बाद ही उपायुक्त कार्यालय की ओर से चांडिल अंचल को पीड़ित संतोष महतो के मामले पर कार्रवाई का आदेश जारी किया था।
पीड़ित संतोष महतो ने बताया कि उन्होंने 2021 में ही यश चक्रवात में क्षतिपूर्ति मुआवजा का आवेदन चांडिल अंचलाधिकारी को दिया था लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद अंचल कार्यालय में पुनः आवेदन करने को कहा गया था, जिसपर आवेदन किया था। वहीं, अंचल कार्यालय के कर्मचारी द्वारा स्थल निरीक्षण कर रिपोर्ट भी बनाया गया है।
फिलहाल अपना घर नहीं होने से पीड़ित परिवार पड़ोसी के घर में रहने को मजबूर हैं। मानवता के नाते पड़ोसी ने संतोष महतो के परिवार को रहने के लिए एक कमरा दिया है।
अब जरा सोचिए कि तीन साल बीतने के बाद भी इस मामले में पीड़ित परिवार को न्याय नहीं मिला। यह एक तरह से साधारण प्रक्रिया है और साधारण मुआवजा राशि है। यदि इस मामले में सांसद के हस्तक्षेप और निर्देश के बाद भी कार्रवाई नहीं हुआ तो उन मामलों पर प्रशासन की गंभीरता समझ सकते हैं, जिन्हें सुनने वाला कोई नहीं होता है। क्या पीड़ित संतोष महतो के इस मामले पर जिला प्रशासन के अधिकारी संज्ञान लेंगे? क्या संतोष महतो को न्याय मिलेगा?