ईचागढ़ : सरहुल महोत्सव सह मिलन समारोह में पांता नृत्य दल ने दी प्रस्तुति
चांडिल। ईचागढ़ प्रखंड के मिलन चौक में आदिवासी सरना समिति द्वारा सरहुल महोत्सव सह मिलन समारोह का आयोजन किया गया था, जिसमें बड़ी संख्या में भूमिज – मुंडा जनजाति समाज के लोगों ने भाग लिया। इस अवसर पर समाज के पाहन (पुजारी) लक्ष्मण सिंह मुंडा ने विधिवत सखुवा डाली के समक्ष सरहुल पूजा की। वहीं, चावल, हंडिया, चेनगा इत्यादि का भोग लगाया गया। इस दौरान श्रद्धालुओं ने बुरु बोंगा, सिंग बोंगा व ग्राम देवता के समक्ष अच्छी फसल, आरोग्य जीवन तथा सुख शांति की कामना की। इस अवसर पर भूमिज – मुंडा समाज के लोगों ने सरहुल पूजा स्थल पर ही डॉ आंबेडकर को की जयंती मनाई। वहीं, स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा तथा डॉ आंबेडकर के चित्र पर श्रद्धासुमन अर्पित की गई।
पूजा संपन्न होने के पश्चात पाहन द्वारा श्रद्धालुओं के बीच प्रसाद तथा सखुआ फूल वितरित किए गए। पुरूष श्रद्धालुओं ने सखुवा फूल अपने कानों पर तथा महिलाओं ने अपने बाल के जूड़े पर लगाए। यहां कार्यक्रम में शामिल होने वाले अतिथियों को भी सखुआ फूल देकर स्वागत किया गया। रांची से आए हुए चार नृत्य दलों ने सरहुल पांता नृत्य की प्रस्तुति दी। नृत्य दल के कलाकारों के साथ अतिथियों एवं श्रद्धालुओं ने भी मांदर, ढ़ोल, नगाड़े आदि वाद्य यंत्रों की धुन पर पारंपरिक नृत्य किया।
मौके पर अतिथि के रूप में शामिल गुंजल इकिर मुंडा ने कहा कि आदिवासी रीति रिवाज से सरहुल पूजा की जाती हैं। सरहुल पूर्णतः प्राकृतिक पूजा है। उन्होंने कहा कि जब प्रकृति में चारों ओर फूल खिलते हैं, प्रकृति में अनोखा बदलाव होता है और संपूर्ण प्रकृति दुल्हन की तरह सज धज कर तैयार रहता है। उस समय आदिवासी समाज सूर्य और प्रकृति के मिलन को एक महोत्सव के रूप में मनाती हैं, जिसे सरहुल के नाम से जाना जाता है। इस अवसर पर प्रमुख गुरूपद मार्डी, मुंडा समाज के अध्यक्ष प्रेम साही सिंह मुंडा, बोध सिंह मुंडा, राजेन सिंह मुंडा, अनिल सिंह मुंडा, दाम सिंह मुंडा, नयन सिंह मुंडा, दयाल सिंह मुंडा, शक्ति सिंह,भूतनाथ सिंह मुंडा, सुचांद सिंह मुंडा, छोटे पातर आदि मौजूद थे।