रांची। झारखंड में राजनीतिक उठापटक तेजी से हो रही हैं। आज झारखंड के 12वें मुख्यमंत्री के रूप में टाइगर चंपई सोरेन ने शपथ ग्रहण किया। पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का इस्तीफा तथा उनकी गिरफ्तारी से लेकर जेल भेजे जाने तक चली हाई वोल्टेज राजनीतिक घटनाक्रम के बाद अंततः शुक्रवार दोपहर को चंपई सोरेन ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। सीएम पद के लिए शपथ ग्रहण होने के बाद राज्य के लोगों को लगा था कि अब राजनीतिक स्थिरता आएगी। लेकिन इस बीच झामुमो के कद्दावर नेता एवं बोरियो विधायक लोबिन हेम्ब्रम ने बगावत कर दी है।
राजभवन में आयोजित समारोह में गठबंधन विधायक दल के नेता चंपई सोरेन को राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई। साथ ही कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम तथा राजद विधायक दल के नेता सत्यानंद भोक्ता ने मंत्री पद की शपथ ली। शपथ ग्रहण करने के पहले मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने पूर्व मुख्यमंत्री एवं झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन से मुलाकात की, उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। वहीं, शपथ ग्रहण के पश्चात मुख्यमंत्री ने भगवान बिरसा मुंडा को माल्यार्पण कर श्रद्धासुमन अर्पित की।
शपथ ग्रहण के बाद मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने कहा कि आज झारखंड के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ग्रहण किया। दिशोम गुरु शिबू सोरेन के मार्गदर्शन में हमारी सरकार राज्य की आम जनता के हित में काम करती रहेगी। हमारे गठबंधन की सरकार ने हेमन्त सोरेन के नेतृत्व में जो बुनियादी शुरुआत किया है, यहां के आदिवासियों, मूलवासियों एवं आम झारखंडियों के सर्वांगीण विकास के लिए जो योजनाएं शुरू की गई हैं, हम उसे गति देने का काम करेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखण्ड प्रदेश में विपक्ष की ओर से झूठे प्रचार के दम पर, जिस प्रकार अस्थिरता का माहौल बनाया जा रहा है, उसे हमारे गठबंधन की एकता ने विफल कर दिया। पूरे देश ने देखा कि किस प्रकार एक आदिवासी सीएम हेमन्त बाबू (पूर्व मुख्यमंत्री) के खिलाफ साजिश कर के, उन्हें अपदस्थ किया गया। इन साजिशों को बेनकाब कर के, हम प्रदेश को विकास की राह में ले जाने का प्रयास करेंगे।
ये लड़ाई बरसों से है, इसका लंबा इतिहास है, जल जंगल जमीन के लिए हमारे पूर्वजों ने भी संघर्ष किया है। बाबा तिलका मांझी, सिदो- कान्हू, चांद- भैरव, फूलो- झानो, भगवान बिरसा मुंडा, टाना भगत जैसे बहुत से आंदोलनकारी रहे हैं, जिन्होंने अस्तित्व की लड़ाई में अपने आत्मसम्मान से कभी समझौता नहीं किया। हमारा प्रयास रहेगा कि भगवान बिरसा मुंडा, सिदो- कान्हू एवं बाबा तिलका मांझी समेत सभी शहीदों के आदर्शों को धरातल पर उतार कर, राज्य के आदिवासियों, मूलवासियों, दलितों एवं आम नागरिकों के जीवन स्तर में बदलाव लाया जाये।
इस बीच झामुमो विधायक लोबिन हेम्ब्रम ने पार्टी से नाता तोड़ने का ऐलान कर दिया है। विधायक लोबिन हेम्ब्रम पार्टी के फैसले से नाराज हैं। उन्होंने कहा कि कोल्हान के चंपई सोरेन को क्यों मुख्यमंत्री बनाया गया? क्या संथाल परगना से मुख्यमंत्री नहीं बनाया जा सकता था? उनका कहना है कि क्या संथाल परगना क्षेत्र में सीएम बनने योग्य विधायक झामुमो में नहीं है क्या। लोबिन हेम्ब्रम ने पार्टी से इस्तीफा देने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि पार्टी आलाकमान के कुछ लोग उन्हें गद्दार की संज्ञा दी है, इसलिए अब वह इस तरह के अपमान नहीं सहेंगे। लोबिन हेम्ब्रम ने विधायक मिथिलेश ठाकुर पर पार्टी को हाईजैक करने का आरोप लगाया है।
विधायक लोबिन हेम्ब्रम के झामुमो से इस्तीफे के बाद राजनीतिक उठापटक में तेजी आने की संभावना बढ़ गई हैं। अब राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि विधायक लोबिन हेम्ब्रम के पीछे – पीछे और भी विधायक जा सकते हैं। यदि ऐसा हुआ तो गठबंधन सरकार को फ्लोर टेस्ट से पहले बड़ी चुनौती का सामना करना होगा। अब देखने वाली बात होगी कि आगामी 4 व 5 फरवरी को आहूत विशेष सत्र में गठबंधन सरकार बहुमत साबित में सफल होती हैं या नहीं।
इधर, राजधानी रांची में विपक्षी दल भाजपा के विधायक दल की बैठक हुई। बैठक में नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी, प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने विधायकों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए हैं। ऐसे में चर्चाएं होने लगी हैं कि भाजपा भी झारखंड में “मिशन कमल” के अभियान में जुट गई हैं।