क्या पुलिस – प्रशासन की मिलीभगत के बगैर संभव है अवैध कारोबार? तिरुलडीह और ईचागढ़ में फिर से अवैध बालू खनन – परिवहन का खेल शुरू – रात्रि 12 बजे से शुरू होती हैं माफियाओं का तांडव
चांडिल। पूरे अनुमंडल क्षेत्र में चल रहे अवैध बालू खनन और उसके परिवहन पर स्थायी तौर पर रोक लगाना नामुमकिन सा लगता है। हाल ही में अवैध बालू खनन को लेकर एनजीटी ने संज्ञान लिया था और कार्रवाई का आदेश जारी किया है। एनजीटी के आदेश पर तीन सदस्यीय टीम ने कपाली ओपी अंतर्गत सुवर्णरेखा नदी के गौरी घाट पर दबिश दी थी। इसके कुछ दिन पहले वहीं, जिला प्रशासन ने भी ईचागढ़ तथा तिरुलडीह थाना क्षेत्र में छापेमारी की थी। प्रशासन ने कार्रवाई के रूप में करीब 2 लाख 32 हजार सीएफटी अवैध बालू को सीज किया था। परंतु, एनजीटी और जिला प्रशासन की कार्रवाई के बाद भी अवैध बालू खनन और उसके परिवहन का खेल बदस्तूर जारी है।
एनजीटी की कार्रवाई के बाद फिलहाल गौरी घाट पर खनन कम हुआ है। चोरी छिपे एक – आध ट्रैक्टर बालू का उठाव हो रहा है। लेकिन रात के अंधेरे में ईचागढ़ व तिरुलडीह थाना क्षेत्र के विभिन्न घाटों से ट्रैक्टर तथा हाइवा से बालू की ढुलाई जारी है। हालांकि, इसमें कोई दोराय नहीं है कि कार्रवाई होने के बाद दो – तीन दिन के लिए अवैध खनन बंद थी, लेकिन पुनः वही दृश्य देखने को मिल रही हैं।
रात्रि 12 बजे से अवैध बालू उठाव और परिवहन का टाइम टेबल
बताया जाता है कि रात्रि 12 बजे से हाइवा से अवैध बालू परिवहन का खेल शुरू हो जाता हैं। रात्रि में बालू माफियाओं के तांडव शुरू हो जाता है जो देखने लायक रहता है। रात्रि 12 बजे से सुबह के 6 बजे तक हाइवा से बालू परिवहन होती हैं। सड़कों पर तेज रफ्तार हाइवा मौत बनकर दौड़ती हैं। इस दौरान मोटरसाइकिल, साइकिल और पैदल यात्रा करने वालों की जान पर खतरा बना रहता है। बताया जा रहा है कि तिरुलडीह स्टॉक से बालू उठाव कर कुकडू अंचल कार्यालय के सामने से होकर नीमडीह थाना क्षेत्र के विभिन्न रास्तों से बालू का परिवहन हो रही हैं। इस रूट से हाइवा पश्चिम बंगाल के बलरामपुर तक जाती हैं। वहीं, तिरुलडीह से ईचागढ़ के मिलन चौक होकर एनएच – रांगामाटी चौक से सीधे जमशेदपुर, आदित्यपुर, गम्हरिया को जा रही हैं। इसके अलावा ईचागढ़ थाना क्षेत्र के गौरांगकोचा क्षेत्र के विभिन्न स्टॉक से भी जमशेदपुर, आदित्यपुर, गम्हरिया को हाइवा से बालू ले जाया जा रहा है। रातभर ओवरलोड अवैध बालू परिवहन हो रही हैं लेकिन फिलहाल किसी तरह की कार्रवाई नहीं होने से पुलिस – प्रशासन के कार्यशैली पर सवाल खड़े हो रहे हैं। यहां सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या पुलिस – प्रशासन की मिलीभगत के बगैर किसी भी अवैध कारोबार का संचालन संभव है। हो सकता है कि अल्प समय के लिए चोरी छिपे कोई भी कारोबार चले, लेकिन मुख्य सड़कों पर खुलेआम ओवरलोड बालू का परिवहन प्रशासन की नजर से कैसे बच रही हैं। विभिन्न चौक चौराहे पर सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं, गुप्तचरों से पल – पल की सूचना मिलती हैं, इसके बावजूद स्थायी रूप से यह अवैध कारोबार बंद नहीं हो रहा है।
फिलहाल बालू परिवहन के चालान उपलब्ध नहीं है। बताया जा रहा है कि जेएसएमडीसी द्वारा स्टॉक बालू उठाव के लिए चालान उपलब्ध कराया जा रहा है लेकिन उसमें भी कई नियम और मापदंड का पालन करना है। उक्त चालान में समय निर्धारित होती हैं, निर्धारित समय के भीतर ही बालू का परिवहन किया जाना है। वहीं, जेएसएमडीसी द्वारा निर्गत किए जा रहे चालान में अधिकतम 400 सीएफटी बालू ही परिवहन किए जाने का आदेश है, लेकिन वर्तमान में चल रहे सभी हाइवा में 500 से 700 सीएफटी बालू का परिवहन किया जा रहा है। आमतौर पर दस पहिया हाइवा में 500 सीएफटी की क्षमता होती हैं लेकिन अवैध बालू परिवहन के लिए हाइवा मालिकों ने लोहे की प्लेट जोड़कर वाहन की ट्रॉली को बढ़ाकर उसे 700 सीएफटी क्षमता का वाहन बना दिया है। यहां लंबे समय से जेएसएमडीसी द्वारा स्टॉक बालू का चालान निर्गत किया जा रहा है लेकिन क्या वह स्टॉक कभी खत्म नहीं हो रहे हैं। एक बालू कारोबारी से बातचीत में पता चला है कि जितने भी रात को अवैध रूप से ही बालू परिवहन हो रहा है। भले ही चालान जेएसएमडीसी से लिया जाता है लेकिन बालू का खनन नदी से ही किया जाता है और उसे हाइवा से ढुलाई की जाती हैं। उन्होंने बताया कि इस अवैध बालू खनन और परिवहन के खेल में सभी राजनीतिक दलों के नेता संलिप्त हैं। वहीं, संबंधित अधिकारियों को भी मैनेज किया जाता है।