जमशेदपुर। ईचागढ़ विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी के अंदर इन दिनों गुटबाजी हावी है। बीते बुधवार शाम को सारथी महतो व बिनोद राय गुट के बीच हुई हिंसक झड़प और एफआईआर से दुखी होकर पार्टी के समर्पित और वयोवृद्ध नेताओं ने मौन साध ली है। वहीं, जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं में तनाव का माहौल बना हुआ है। इस बीच दो गुटों में हिंसक झड़प के ठीक एक दिन बाद ही रांची लोकसभा के सांसद संजय सेठ का आगमन ईचागढ़ विधानसभा क्षेत्र में हुआ। इस दौरान सांसद संजय सेठ तीन – चार कार्यक्रम में शमिल हुए। पर, उन्होंने अपने आने की भनक मीडिया को नहीं दी। मीडिया को सूचना अथवा निमंत्रण दिए बगैर सांसद संजय सेठ द्वारा किए गए इन कार्यक्रमों से भाजपा के कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। आखिर जो भाजपा के जमीनी कार्यकर्ता हैं वह भी तो चाहते हैं कि अपने पार्टी के नेताओं के साथ उनका नाम व फोटो अखबारों, न्यूज़ पोर्टलों व चैनलों पर दिखाए जाएं। इसके लिए स्थानीय मीडिया की मौजूदगी जरूरी है।
बहरहाल, अब आपको बताते हैं कि ईचागढ़ भाजपा की गुटबाजी से उत्पन्न हिंसक झड़प के बाद सांसद संजय सेठ ने भी मौन धारण कर लिया है। गुटबाजी के पचड़े से वह दूर रहना पसंद कर रहे हैं। सांसद किसी भी गुट के पक्ष में नहीं हैं। सांसद सेठ ” हरि अनंत कथा अनंता” का नाम जप रहे हैं। यानी कि मोदी है तो मुमकिन है को मानकर चल रहे हैं। शायद वह मोदी के नाम पर ही आगामी लोकसभा चुनाव में विजय प्राप्त करने की योजना बना चुके हैं। इसके अलावा उन्हें पार्टी के कार्यकर्ताओं की आपसी गुटबाजी, हिंसक झड़प, मारपीट से कोई सरोकार नहीं है। इसलिए तो उन्होंने मीडिया से दूरी बनाना ही उचित समझा है। जनसाधारण का मानना है कि सांसद संजय सेठ पार्टी के गुटबाजी को अप्रत्यक्ष रूप समर्थन कर रहे हैं, क्या वाकई इसमें सच्चाई है? आश्चर्यजनक बात है कि ईचागढ़ विधानसभा क्षेत्र जो कि रांची लोकसभा क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण विधानसभा क्षेत्र है। जहां से बीते लोकसभा चुनाव में भाजपा सांसद संजय सेठ को करीब एक लाख 19 हजार वोट मिले थे। इस महत्वपूर्ण विधानसभा क्षेत्र में पार्टी की गुटबाजी को शांत करने के लिए सांसद संजय सेठ ने अबतक किसी तरह के प्रयास नहीं किए हैं। यहां तक की मीडिया के सवालों से बचने के लिए अपने कार्यक्रमों की जानकारी भी साझा नहीं की।