सरकार और प्रशासन के “दीया तले अंधेरा” के विपरीत ग्रामीणों ने “अपना हाथ जगन्नाथ” को किया चरितार्थ – जिस पंचायत में प्रखंड मुख्यालय वहां ग्रामीणों ने श्रमदान देकर किया सड़क निर्माण
विश्वरूप पांडा
सरायकेला – खरसावां एक ऐसा जिला है, जिसने अबतक चार बार झारखंड को मुख्यमंत्री व एक बार उपमुख्यमंत्री देने का इतिहास रचा है। इस जिले के खरसावां विधानसभा से चुनकर अर्जुन मुंडा (पूर्व केंद्रीय मंत्री) तीन- तीन बार मुख्यमंत्री रहें और राज्य के विकास को गति देने का काम किया था। अब हाल ही में सरायकेला विधायक चंपई सोरेन ने भी 152 दिन के लिए राज्य की बागडोर संभाली थी। इस दौरान पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने भी जनता को कई लाभकारी योजनाओं की सौगात दी है।
इसके अलावा ईचागढ़ विधानसभा से निर्वाचित होकर स्वर्गीय सुधीर महतो ने भी झारखंड सरकार में उपमुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी संभाली थी। इसके बावजूद इस जिले को पिछड़े क्षेत्र के रूप में जाना जाता है, ऐसा क्यों? जिले में सड़क, बिजली, पानी, स्वास्थ्य सुविधाएं जैसी मूलभूत आवश्यकताओं की घोर कमी देखने को मिलती हैं।
बताते चलें कि यह क्षेत्र रांची लोकसभा अंतर्गत आता है। इसी लोकसभा से निर्वाचित होकर पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री सुबोधकांत सहाय दो बार केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं। वर्तमान में संजय सेठ भी केंद्रीय राज्यमंत्री बनाए गए हैं।
रघुवर दास सरकार के पांच साल को छोड़ दें तो अलग राज्य बनने के बाद से अबतक आदिवासी समाज का मुख्यमंत्री बना है। इसके बाद भी अनेकों ऐसे आदिवासी क्षेत्र है, जहां से आज भी विकास कोसों दूर है। आए दिन किसी न किसी गांव की समस्या प्रकाश में आती हैं, जहां सड़क, पानी, बिजली, शिक्षा, चिकित्सा सुविधा का अभाव है।
ऐसा ही एक मामला सरायकेला – खरसावां जिले से सामने आया है, जहां आदिवासी बहुल गांव के लोगों ने स्वयं ही श्रमदान देकर सड़क निर्माण कर लिया। ग्रामीणों ने न केवल सड़क निर्माण किया है, बल्कि सड़क निर्माण के बीच कुछ रैयती जमीन आ रही थी, जिसे जमीन के मालिकों ने भी सड़क के लिए दान कर दिया है। आप जब आपको पता चलेगा कि यह कहां का मामला है तो आप भी हैरान हो सकते हैं। यह मामला सरायकेला – खरसावां जिले के नीमडीह प्रखंड के आदारडीह पंचायत का है।
इसी आदारडीह पंचायत के अंतर्गत नीमडीह का प्रखंड सह अंचल कार्यालय, नीमडीह थाना, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, पीडीएस गोदाम है। यानी कि जहां प्रखंड के सरकारी बाबू बैठते हैं, जहां से पूरे प्रखंड के विकास का खाका तैयार किया जाता है, उसी स्थान पर ग्रामीण एक अदद सड़क के लिए तरस रहे हैं। इससे “दीया तले अंधेरा” वाली कहावत चरितार्थ हो रही हैं। लेकिन इस कहावत के विपरीत ग्रामीणों ने भी सरकार और जनप्रतिनिधियों को मुंह चिढ़ाने के लिए “अपना हाथ जगन्नाथ” वाली कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है।
आदारडीह पंचायत अंतर्गत रघुनाथपुर से बड़डीह, रांगाडीह, चिंगड़ा, पांडकीडीह होते हुए हुंडरू तक करीब चार किलोमीटर सड़क का निर्माण ग्रामीण स्वयं कर रहे हैं। भले ही पक्की सड़क निर्माण नहीं कर पा रहे हैं लेकिन ग्रामीण अपनी सुविधा के लिए चलने लायक मिट्टी – मुरुम सड़क का निर्माण कर रहे हैं। उक्त सड़क मार्ग निर्माण के बीच में कई लोगों के खेत व जमीन आ रहे थे, जिसे भी जमीन मालिकों ने सड़क के लिए दान कर दिया है। ग्रामीणों ने इस सड़क के निर्माण के लिए कई वर्षों से सरकार, स्थानीय जनप्रतिनिधियों और प्रशासन से गुहार लगाई। गुहार लगाते थक चुके ग्रामीणों ने अंत में बैठक की और स्वयं ही सड़क निर्माण कार्य शुरू कर दिया। सड़क निर्माण के लिए मिट्टी मुरुम का उपयोग किया जा रहा है। ट्रैक्टर से मिट्टी मुरुम लाने में जो खर्च हो रहा है, वह भी ग्रामीणों ने चंदा इकट्ठा किया है। वहीं, हजारों ग्रामीण प्रतिदिन श्रमदान कर रहे हैं। सड़क निर्माण प्रायः पूरा होने को है। हालांकि, पहले ग्रामीणों के पास टूटी फूटी सड़क है जो मरम्मत के अभाव में जर्जर हालत में तब्दील हो चुकी हैं। लेकिन उक्त सड़क से होकर मुख्य सड़क तक आने के लिए ग्रामीणों को लंबी दूरी तय करके गांव से बाहर निकलना पड़ता है। लेकिन इस नई सड़क के निर्माण होने से चिंगड़ा पांडकीडीह के ग्रामीणों को प्रखंड मुख्यालय समेत रघुनाथपुर बाजार, थाना, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र आने में काफी सुविधा होगी।
चिंगड़ा पांडकीडीह तथा आसपास के कई गांव पूर्णत आदिवासी बहुल गांव है। इन गांवों के आदिवासियों ने पिछले विधानसभा चुनाव में ईचागढ़ विधायक सविता महतो के पक्ष में एकमुश्त वोट डाला था। लेकिन इस बार इन गांवों के आदिवासी समुदाय के लोग विधायक सविता महतो से नाराज चल रहे हैं। ग्रामीणों ने कहा है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में हमलोग अपने परेशानी और कष्ट को याद रखकर ही मतदान करेंगे।