गर्मी के दस्तक देने पहले ही सूखने लगे हैं दलमा पर्वत के जलस्रोत, करोडों खर्च करने के बाद भी वही ढाक के तीन पात – क्या प्यासे रहेंगे वन्य प्राणी?
जमशेदपुर। गर्मी का मौसम दस्तक देने से पहले ही दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी के जलस्रोत सूखने लगे हैं। झील और झरनों के प्राकृतिक स्रोत सुख रहे हैं। अभी ठीक तरह से गर्मी का मौसम आया नहीं है और यह स्थिति बहुत चिंताजनक है। जलस्रोतों के सूखने पर दलमा के जंगलों में रहने वाले पशु पक्षियों को काफी परेशानी होगी। यह और बात है कि पशु पक्षियों के लिए वन विभाग गर्मी के मौसम में वैकल्पिक व्यवस्था कर सकती हैं। लेकिन सदियों से जो प्राकृतिक जलस्रोत हैं, उनमें जलस्तर कम होना भविष्य के लिए खतरा है। आखिर दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी में मौजूद जलस्रोतों के सूखने के क्या कारण है? यह सवाल हर किसी के मन में है।
बता दें कि दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी में कुल 79 प्राकृतिक जलस्रोत हैं। इन 79 जलस्रोत में झील, झरना, तालाब शामिल हैं। समय समय पर इनका जीर्णोद्धार वन विभाग द्वारा किया जाता है। वहीं, विभाग द्वारा अनेकों चेक डैम निर्माण कराया गया है। परंतु, विभाग द्वारा वन्य जीवों की सुविधा और सुरक्षा के लिए खर्च किए जा रहे लाखों करोड़ों रुपए बर्बाद होता दिख रहा है। इस समय दलमा के अधिकांश जलस्रोत सुख चुके हैं और कई जलस्रोत का जलस्तर काफी कम हो चुका है। यदि अगले एक – दो माह में भारी बारिश नहीं हुई तो दलमा में सुखाड़ की स्थिति से इंकार नहीं किया जा सकता है। जलस्रोतों से सूखने के पीछे कहीं न कहीं वन विभाग की लापरवाही और नाकामी झलक रही हैं। दलमा के प्राकृतिक जलस्रोतों का संरक्षण करने में विभाग नाकाम साबित हुआ है। इसके चलते इस समय जलस्रोत सुख रहे हैं। दो दशक पहले दलमा में ऐसी स्थिति नहीं थी। तब सभी जलस्रोत लबालब हुआ करते थे। दोपहर के समय जलस्रोतों में पशु पक्षियों को देखा जाता था।
बहरहाल, अब देखने वाली बात होगी कि इस साल गर्मी के मौसम में वन्य प्राणियों को पेयजल और नहाने की व्यवस्था मिलेगी या नहीं? वन्य प्राणियों के सुविधा के लिए वन विभाग क्या उपाय करेगी? आखिर दलमा में वन्य प्राणियों और पर्यटकों के नाम पर खर्च किए जा रहे करोड़ों रुपए का सदुपयोग हो रहा है या बंदरबांट?