कांग्रेस के मास्टरस्ट्रोक से भाजपा की बढ़ गई मुश्किलें, पांच बार सांसद रहे रामटहल चौधरी ने पकड़ा कांग्रेस का हाथ
रांची। लोकसभा चुनाव को लेकर झारखंड की राजनीति में उथल पुथल मची हुई हैं। नेताओं की भागदौड़ शुरू हो गई हैं। दूसरी तरफ टिकट को लेकर लॉबिंग तेज हो गई हैं। झामुमो विधायक सीता सोरेन को भाजपा में लाकर पार्टी ने उन्हें दुमका लोकसभा का प्रत्याशी घोषित किया है, इससे इंडिया गठबंधन को बड़ा झटका देने का प्रयास किया गया है। इससे पहले सिंहभूम सांसद गीता कोड़ा को भी पार्टी जॉइन करवाकर भाजपा ने अपना प्रत्याशी घोषित किया है। लेकिन अब इंडिया गठबंधन ने भी भाजपा को जोरदार पटखनी देने का प्रयास किया है। आज रांची लोकसभा से पांच बार सांसद रहे रामटहल चौधरी ने कांग्रेस का हाथ पकड़ लिया है। इस बीच चर्चा है कि रामटहल चौधरी को कांग्रेस टिकट देकर रांची लोकसभा से प्रत्याशी घोषित कर सकती हैं। यदि ऐसा हुआ तो भाजपा और वर्तमान रांची सांसद संजय सेठ की मुश्किलें बढ़ जाएगी।
रांची सांसद संजय सेठ को दूसरी बार प्रत्याशी घोषित किए जाने के बाद से ही भाजपा के अंदरखाने में विरोधाभास है। सूत्रों की मानें तो रांची लोकसभा के भाजपा कार्यकर्ताओं ने संजय सेठ को छोड़कर प्रदीप वर्मा अथवा अन्य किसी को प्रत्याशी बनाने की मांग की थी। भाजपा के अंदरूनी सर्वेक्षण का रिपोर्ट भी संजय सेठ के खिलाफ रहा, इसके बावजूद भाजपा आलाकमान ने उन्हें प्रत्याशी घोषित करके कार्यकर्ताओं के ऊपर थोपने का प्रयास किया है। वहीं, मतदाताओं के बीच स्थानीय प्रत्याशियों को लेकर प्रायः चर्चा होती हैं। वर्तमान सांसद संजय सेठ मूल रूप से दूसरे राज्य के नेता हैं। उधर, जेबीकेएसएस ने झारखंड की राजनीति में एक अलग माहौल बना कर रखा है कि स्थानीय लोगों को ही सभी पार्टी अपना प्रत्याशी बनाए। दूसरे राज्यों के नेताओं के खिलाफ हमेशा जेबीकेएसएस नेता जयराम महतो को बोलते हुए सुना जाता है। जेबीकेएसएस के हल्ला बोल का ही परिणाम हो सकता है कि धनबाद से तीन बार सांसद रहे भाजपा सांसद पीएन सिंह का टिकट काटकर स्थानीय ढुल्लू महतो को इस बार भाजपा ने अपना प्रत्याशी घोषित किया है। उधर, चतरा लोकसभा सीट से भी प्रत्याशी बदल दिया गया है। ऐसे में यदि रांची लोकसभा से कांग्रेस पूर्व सांसद रामटहल चौधरी को अपना प्रत्याशी घोषित कर देती हैं तो भाजपा के लिए राह आसान नहीं होने वाली है। रांची लोकसभा में स्थानीय मतदाताओं की संख्या अधिक है, ऐसे में रामटहल चौधरी की ओर स्थानीय मतदाताओं का झुकाव अधिक होने की संभावना है। रांची लोकसभा में कुड़मी मतदाताओं की बड़ी संख्या है, ऐसे में इस समुदाय के मतदाताओं में रामटहल चौधरी को कांग्रेस से टिकट देने की चर्चा मात्र से खुशी की लहर दौड़ पड़ी है। 2014 के लोकसभा में रामटहल चौधरी भाजपा के टिकट पर सांसद चुने गए थे। इसके बाद 2019 के चुनाव में चौधरी का टिकट काटकर संजय सेठ को प्रत्याशी घोषित किया था और वह रांची लोकसभा के सांसद निर्वाचित हुए हैं। वहीं, अब दूसरी बार भी भाजपा ने संजय सेठ को रांची से टिकट दिया गया है। हालांकि, 2019 में जब रामटहल चौधरी को भाजपा ने टिकट नहीं दिया था तो वे निर्दलीय ही चुनाव लड़े थे लेकिन खास प्रदर्शन नहीं कर पाए थे।
पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोध कांत सहाय की सहमति से ही रामटहल चौधरी ने कांग्रेस का हाथ पकड़ा
आज जब पूर्व सांसद रामटहल चौधरी ने कांग्रेस का हाथ पकड़ा तब पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय भी मौजूद थे। सुबोधकांत सहाय ने खुशी खुशी रामटहल चौधरी का स्वागत किया। इस दौरान पूर्व मंत्री बंधू तिर्की भी मौजूद रहे। एक समय हुआ करता था जब सुबोधकांत सहाय और रामटहल चौधरी एक दूसरे के कट्टर विरोधी हुआ करते थे। करीब तीन दशक तक दोनों रांची लोकसभा में एक दूसरे के चुनावी प्रतिद्वंद्वी रहे। इस दौरान बारी बारी से दोनों ने कई बार रांची लोकसभा से चुनाव जीता था। अब दोनों कांग्रेस में है और एक दूसरे के साथ गले मिलकर इंडिया गठबंधन को बड़ी जीत दिलाने का संकल्प ले रहे हैं। हालांकि, रामटहल चौधरी को कांग्रेस में शामिल कराने से पहले पूर्व मंत्री सुबोधकांत सहाय की सहमति ली गई थी और उन्होंने सहमति दी है। इसके बाद ही रामटहल चौधरी को कांग्रेस में शमिल कराया गया है। इससे समझा जा सकता है कि जब दोनों दिग्गज नेता इंडिया गठबंधनके तरफ होंगे तो उनका पल्ला भाजपा के ऊपर भारी पड़ सकता है।