विश्व आदिवासी दिवस पर चांडिल में हुआ आदिवासियों का महजुटान, बड़ी संख्या में उमड़ी भीड़ – मुख्य अतिथि सुखराम हेम्ब्रम ने कहा : 2024 में कर रहे संघर्ष और 2025 में मनाएंगे आदिवासी विजयी दिवस
विश्व आदिवासी दिवस पर चांडिल में हुआ आदिवासियों का महजुटान, बड़ी संख्या में उमड़ी भीड़ – मुख्य अतिथि सुखराम हेम्ब्रम ने कहा : 2024 में कर रहे संघर्ष और 2025 में मनाएंगे आदिवासी विजयी दिवस
चांडिल। विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर चांडिल प्रखंड के गांगूडीह फुटबॉल मैदान में चांडिल अनुमंडल के आदिवासियों का महजुटान हुआ, जहां बड़ी संख्या में भीड़ उमड़ी थी। इस कार्यक्रम में विभिन्न राजनीतिक, सामाजिक एवं जन संगठन के नेताओं ने भी बढ़चढ़ कर भाग लिया। कार्यक्रम में आदिवासियों के हक अधिकार के संरक्षण पर जोर देते हुए संकल्प लिया गया।
इस अवसर पर आयोजित जनसभा में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में समाजसेवी सुखराम हेम्ब्रम शामिल हुए। मौके पर सुखराम हेम्ब्रम ने विश्व आदिवासी दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने आदिवासियों के सम्मान में आज का दिन निर्धारित किया था, जिसे हमलोग विश्व आदिवासी दिवस के रूप मनाते हैं। उन्होंने कहा कि संविधान में आदिवासियों को अनेकों अधिकार प्राप्त हैं लेकिन धरातल पर वह अधिकार लागू नहीं हुआ है। झारखंड के साथ साथ पूरे विश्व में आदिवासियों ने हमेशा अपने हक, अधिकार और संरक्षण के लिए संघर्ष किया है। भारत के स्वतंत्रता के लिए लाखों आदिवासियों ने अपना प्राण न्योछावर किया है। भारत की आजादी की लड़ाई में सिदो कान्हू, बिरसा मुंडा, तिलका मांझी, गंगानारायण सिंह, जिलपा लाया, तेलंगा खड़िया, बुधु भगत ऐसे हजारों क्रांतिकारी ने आंदोलन का बिगुल फूंका था और वीरता के साथ शहीद हुए हैं। उसी तरह अलग झारखंड राज्य के आंदोलन में भी हजारों आदिवासियों ने बलिदान दिया, जेल यात्रा की, पुलिस की लाठियां खाई है।
सुखराम हेम्ब्रम ने कहा कि आजतक कई सरकारें आई और बदल गई लेकिन आजतक आदिवासियों को वाजिब हक अधिकार नहीं मिला, बल्कि आदिवासियों के हक अधिकार को छिनने का प्रयास किया जा रहा है। लेकिन आदिवासी किसी से डरने वाले नहीं है। उन्होंने कहा कि वर्तमान झारखंड सरकार ने सरना धर्मकोड को लेकर सकारात्मक पहल किया था, जिसके बाद हम आदिवासियों को लगा था कि केंद्र सरकार की ओर से हमें सरना धर्मकोड मिलेगा, लेकिन केंद्र सरकार ने देश के करोड़ों आदिवासियों के भावनाओं का सम्मान नहीं किया।
सुखराम हेम्ब्रम ने कहा कि ईचागढ़ विधानसभा के आदिवासियों के भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया गया है, वैसे लोगों को आने वाले समय में सबक सिखाने का काम किया जाएगा। उन्होंने कहा कि 2024 हम आदिवासियों के लिए संघर्ष का वर्ष है, लेकिन आगामी 2025 में हमलोग अपने हक अधिकार को लेने में जरूर सफल होंगे, तब हमलोग विश्व आदिवासी दिवस की भांति आदिवासी विजयी दिवस मनाएंगे।
इस मौके पर विशिष्ट अतिथि पातकोम दिशोम मांझी पारगाना महाल के रामेश्वर बेसरा, सरायकेला आदिवासी भूमिज मुंडा के अध्यक्ष रविंद्र सिंह सरदार, जिला परिषद ज्योति बेसरा, जिला परिषद सविता माडी॔, बुद्धेश्वर मार्डी, प्रमुख गुरु पद मार्डी, श्यामल मार्डी, डोमन बास्के, प्रकाश मार्डी, मुखिया मनोहर सिंह सरदार, दुलाल सिंह, अंगद सिंह, रमेश हांसदा, अमर उरांव, विनय उरांव, देवेन्द्र बेसरा, कुसुम कमल सिंह आदि ने जनसभा को संबोधित किया।
पारंपरिक परिधानों में शामिल हुए आदिवासी समाज के लोग, विभिन्न जातियों की महिलाओं ने की पारंपरिक नृत्य
विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर आयोजित जनसभा में आदिवासी समुदाय के विभिन्न जातियों की महिलाओं ने पारंपरिक नृत्य की प्रस्तुति दी। वहीं, कार्यक्रम में शामिल आदिवासियों ने पारंपरिक परिधान में शामिल हुए थे। कार्यक्रम में मुंडारी नृत्य, पहाड़ी नृत्य, संथाली नृत्य, उरांव नृत्य आदि की झलक देखने को मिली। कार्यक्रम का शुभारंभ करते आदिवासी समाज के स्वतंत्रता सेनानियों, समाज सुधारक, बुद्धिजीवियों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
टुईडूंगरी से निकली विशाल बाइक रैली पहुंचा गांगूडीह कार्यक्रम स्थल
आदिवासी दिवस के अवसर पर समाजसेवी सुखराम हेम्ब्रम के नेतृत्व में विशाल बाइक रैली निकाला गया था। बाइक रैली चौका के टुईडूंगरी से शुरू होकर ईचागढ़ के गौरंगकोचा पहुंची, जहां फूलो झानो को आदिवासी समाज के लोगों ने श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके बाद रैली चौका मोड होते हुए चांडिल गोलचक्कर पहुंचा, जहां सिदो कान्हू को श्रद्धांजलि दी गई। चांडिल गोलचक्कर से चांडिल बाजार होते हुए गांगूडीह स्थित कार्यक्रम स्थल तक बाइक रैली पहुंची। इस दौरान पूरे रैली में आदिवासी समाज के लोगों ने अपने साथ पारंपरिक हथियारों का प्रदर्शन किया। वहीं, आदिवासियों ने चांडिल बाजार में हर्षोल्लास के साथ वाद्य यंत्रों की धुन पर अपना पारंपरिक पांता नृत्य किया।