2 जुलाई को दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी के कार्यालय में दलमा वनक्षेत्र प्रभावित संघर्ष समिति करेगी महा विरोध प्रदर्शन
चांडिल। आगामी 2 जुलाई को दलमा वनक्षेत्र प्रभावित संघर्ष समिति द्वारा दलमा वन्यप्राणी आश्रयणी के मानगो (जमशेदपुर) स्थित कार्यालय में महा विरोध प्रदर्शन करेगी। इसके लिए दलमा तराई क्षेत्र में जोर शोर से तैयारी चल रही हैं। समिति द्वारा चांडिल, नीमडीह, बोड़ाम, पटमदा, एमजीएम क्षेत्र के लोगों से विरोध प्रदर्शन में भाग लेने का अपील किया गया है।
दलमा वनक्षेत्र प्रभावित समिति द्वारा अपनी आठ मांगो को लेकर यह कार्यक्रम रखा है। इसमें जंगली हाथियों द्वारा किसानों के फसल बर्बाद करने पर प्रति एकड़ एक लाख रुपये मुआवजा देने, जंगली हाथी द्वारा किसी व्यक्ति को जान से मारने पर दस लाख रुपये मुआवजा देने, सब्जी के फसल को जंगली जानवरों द्वारा नष्ट किए जाने पर प्रति एकड़ दस लाख रुपये मुआवजा देने की मांग है। इसके अलावा स्थानीय लोगों को अपने मवेशियों के लिए वनक्षेत्र से आहार (चारा) लाने का अधिकार देने, वनक्षेत्र में अवस्थित सरना स्थल, मंदिर, श्मशान, कब्रिस्तान आदि सार्वजनिक स्थानों से वन विभाग छेड़छाड़ बंद करे, माकुलाकोचा चेकनाका पर दो पहिया एवं चार पहिया वाहनों से टैक्स वसूली बंद करने, हर साल सड़क मरम्मत के नाम पर जंगल की मिट्टी कटाई बंद करके पक्की सड़क निर्माण करने की मांग है। वहीं, दलमा वन्यप्राणी आश्रयणी के सभी पदाधिकारियों एवं वन कर्मियों का आय से अधिक संपत्ति का सीबीआई जांच की मांग है।
बता दें कि नीमडीह क्षेत्र के दलमा तराई में बसे गांवों के लोगों को जमशेदपुर अथवा रांची जाने के लिए दलमा के एकमात्र कच्ची सड़क से होकर आना जाना करना पड़ता है। उक्त सड़क के बीच में वन विभाग का चेकनाका है, जहां आए दिन क्षेत्र के स्थानीय लोगों को प्रताड़ित करने का मामला सामने आता है। वहीं, पिछले दिनों नीमडीह थाना क्षेत्र के बांधडीह निवासी डाठु सिंह सरदार को वन विभाग ने जंगली सूअर शिकार करने के आरोप में जेल भेज दिया है। इन घटनाओं को लेकर क्षेत्र के लोगों में दलमा वन विभाग के प्रति काफी आक्रोश व्याप्त है। अब दलमा वनक्षेत्र प्रभावित संघर्ष समिति के बैनर तले सभी लोग गोलबंद हो रहे हैं और बड़े आंदोलन की तैयारी में है। शुक्रवार को धालभूम अनुमंडल पदाधिकारी को समिति ने लिखित रूप से कार्यक्रम की जानकारी दी है, जिसमें समिति के प्रतिनिधिमंडल में सुचाँद सिंह, सुखलाल पहाड़िया, दीनबंधु सिंह, रविन्द्र सिंह, जितेंद्र सिंह आदि मौजूद थे।