चांडिल : डैम के जलस्तर को लेकर आयोजित बैठक में हाथी और प्रदूषण का मुद्दा गरमाया, पूर्व जिप उपाध्यक्ष देवाशीष राय ने दी चेतावनी – चांडिल डैम का जलस्तर 179 से अधिक हुआ तो करेंगे उग्र आंदोलन
चांडिल । अनुमंडल कार्यालय में एसडीओ शुभ्रा रानी की अध्यक्षता में आज आपदा प्रबंधन की बैठक हुई। चांडिल डैम के जलस्तर बढ़ने के कारण होने वाली समस्याओं को लेकर चर्चा करना तथा समस्याओं से निपटने की तैयारी को लेकर यह बैठक आयोजित की गई थी। लेकिन बैठक में जंगली हाथियों के उत्पात से हो रही समस्याओं, आम जनमानस की क्षति तथा क्षेत्र में व्यापक पैमाने पर फैल रही प्रदूषण का मुद्दा प्रमुखता से उठाया गया। यहां विधायक सविता महतो, सांसद प्रतिनिधि के रूप में पूर्व जिला परिषद उपाध्यक्ष देवाशीष राय, जिप उपाध्यक्ष मधुश्री महतो, एसडीपीओ सुनील कुमार राजवार, सुवर्णरेखा बहुउद्देश्यीय परियोजना के कार्यपालक अभियंता, पुनर्वास पदाधिकारी, मुखिया प्रतिनिधि बोनु सिंह सरदार, सभी थाना प्रभारी, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, चांडिल बांध मत्स्यजीवी स्वावलंबी सहकारी समिति के अध्यक्ष नारायण गोप व सचिव श्यामल मार्डी आदि ने बैठक में भाग लिया। इस दौरान एसडीओ शुभ्रा रानी ने चांडिल डैम के जलस्तर बढ़ने पर होने वाली समस्याओं पर चर्चा की। उन्होंने बाढ़ जैसी स्थिति में होने वाली समस्याओं से निपटने के लिए सभी अधिकारियों को अलर्ट रहने का निर्देश दिया। एसडीओ ने सभी अधिकारियों के साथ साथ प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को अलर्ट रहने का निर्देश दिया है। वहीं, बाढ़ में फंसने वाले लोगों को बाहर निकालने के लिए चांडिल बांध मत्स्यजीवी स्वावलंबी सहकारी समिति के गोताखोरों की मदद ली जाएगी। समिति के अध्यक्ष से गोताखोरों की सूची मांगी गई हैं। इसके अलावा बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लोगों को भोजन व पानी की व्यवस्था करने को लेकर तैयारी करने का निर्देश दिया गया है।
बैठक में पूर्व जिला परिषद उपाध्यक्ष देवाशीष राय ने कहा कि डैम का जलस्तर 179 मीटर तक ही रखा जाए। भारी बारिश होने पर एकाएक जलस्तर बढ़ने लगती हैं, इस स्थिति में डैम का फाटक खोलने के बावजूद जलस्तर कम होने में समय लगता है, तबतक विस्थापित गांव डूब जाते हैं। यदि 179 मीटर जलस्तर रखा जाता हैं तो एक – दो मीटर जलस्तर बढ़ने पर भी स्थिति को नियंत्रण किया जा सकता है। देवाशीष राय ने बैठक के दौरान क्षेत्र में फैल रही प्रदूषण तथा हाथियों द्वारा किए जा रहे उत्पात से हो रही नुकसान का मामला सामने रखा। उन्होंने कहा कि डैम के जलस्तर बढ़ने के साथ साथ प्रदूषण और हाथी की समस्या भी एक तरह से आपदा ही है। ऐसे में प्रशासन को इन गंभीर समस्याओं को संज्ञान में लेने की जरूरत है।
इधर, बैठक के बाद मीडिया से बातचीत के क्रम में देवाशीष राय ने कहा कि चांडिल डैम का जलस्तर 179 मीटर रखा जाए, अन्यथा उग्र आंदोलन किया जाएगा। हर वर्ष बारिश के मौसम में डैम का जलस्तर बढ़ाकर विस्थापित परिवारों को परेशान किया जाता हैं। हर बार केवल आश्वासन दिया जाता हैं। यह सबकुछ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। पहले विस्थापित परिवारों को उनका वाजिब हक अधिकार मिले, उसके बाद ही डैम का जलस्तर बढ़ाने की दिशा में पहल हो। उन्होंने कहा कि क्षेत्र में विभिन्न कंपनियों द्वारा व्यापक पैमाने पर प्रदूषण फैलाने का काम किया जा रहा है। क्षेत्र के लोगों को प्रदूषण के कारण विभिन्न प्रकार की बीमारी हो रही हैं। तालाब, खेत, नदी, पेड़ दूषित हो रहे हैं। दूसरी तरफ जंगली हाथियों द्वारा आमजनमानस को क्षति पहुंचाई जा रही हैं। लोगों की जान माल की सुरक्षा पर सवाल खड़े हो रहे हैं। यह भी एक तरह का आपदा ही है। उन्होंने कहा कि क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति से खिलवाड़ किया गया है। विभिन्न कंपनियों द्वारा भौगोलिक क्षेत्र में परिवर्तन किया गया है, जिसके कारण वर्तमान में हाथियों का आतंक चरम पर है, जिसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है। देवाशीष राय ने प्रशासन से अविलंब प्रदूषण नियंत्रण तथा हाथी नियंत्रण की दिशा में पहल करने की मांग की है।
अनुमंडल कार्यालय में बैठक के दौरान पूर्व पंचायत समिति सदस्य गुरुचरण साव ने कहा कि चांडिल डैम के विस्थापितों ने देश हित में राज्य हित में अपने पूर्वजों की जमीन औने पौने दाम पर दे दी है। यहां विस्थापितों को विकास पुस्तिका और मुआवजा देकर पुनर्वास किया जा रहा है, जिसे परियोजना की सफलता बताई जा रही हैं। जबकि, धरातल पर भ्रष्टाचार हो रहा है। जिन विस्थापित परिवारों को उठाकर पुनर्वास स्थलों पर बसाया जा रहा है, वहां रोजगार के साधन नहीं है। चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं है, बच्चों को उच्च शिक्षा की नहीं मिल रही हैं। जबकि, पुनर्वास नीति के अनुसार तमाम सुविधा उपलब्ध कराने की बात कही गई हैं। उन्होंने कहा कि पॉलिटेक्निक कॉलेज में विस्थापित परिवार के विद्यार्थियों के लिए कोई विशेष छूट अथवा प्राथमिकता नहीं दी जाती हैं।