सांसद संजय सेठ का समाधान केंद्र साबित हुआ हाथी का दांत, पांच साल में न सांसद और न उनके प्रतिनिधियों ने सुनी जनता की फरियाद
रांची लोकसभा के सांसद संजय सेठ ने 2019 में निर्वाचित होने के पूर्व चुनावी अभियान में जनता के समस्याओं के समाधान के लिए बड़े बड़े वायदे किए, तरह तरह के घोषणाओं के अंबार लगा दिए थे। सांसद निर्वाचित होने के बाद वह रांची लोकसभा क्षेत्र के भ्रमण पर निकले थे। इस दौरान जगह जगह उनका गर्मजोशी से स्वागत हुआ था तो उन्होंने भी आनन फानन में जनता के हर समस्या को सुनने तथा समस्याओं का समाधान करने का भरोसा दिलाया था। यहां तक की जनता की शिकायत सुनने के लिए सांसद ने लोकसभा क्षेत्र के सभी छह विधानसभा क्षेत्र में समाधान केंद्र खोल दिया। कुछ विधानसभा में एक से अधिक समाधान केंद्र खोल दिया। उन समाधान केंद्रों में निर्धारित तिथियों में सांसद स्वयं उपस्थित होने की बात कहते थे। वहीं, सांसद की अनुपस्थिति में उनके प्रतिनिधि केंद्रों में रहकर जनता से रूबरू होंगे, ऐसा ढिंढोरा पिटा गया था। समाधान केंद्रों के खुलने से क्षेत्र के जनता के मन में विश्वास जगा था कि इस बार वाले नए सांसद कुछ ऐसा करेंगे जो अबतक के सांसदों ने नहीं किया था। लेकिन हुआ क्या? वही “ढाक के तीन पात” वाली कहावत चरितार्थ हुई। बल्कि कहावत चरितार्थ नहीं हुई, सांसद ने जनता के उस भ्रम को हमेशा के लिए दूर कर दिया है कि भले ही जनप्रतिनिधि बदल जाए, सत्ता परिवर्तन हो जाए लेकिन जनप्रतिनिधियों की कार्यशैली में बदलाव की आशा करना ही व्यर्थ है।
बात करें ईचागढ़ विधानसभा क्षेत्र की, तो यहां से 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा सांसद संजय सेठ को करीब एक लाख 19 हजार मत प्राप्त हुए थे। अन्य विधानसभा क्षेत्र की तरह ही ईचागढ़ विधानसभा क्षेत्र के चांडिल स्टेशन के समीप उगडीह में भी सांसद ने पहले एक समाधान केंद्र खोला, बाद में चौका में और एक केंद्र खोला। बताया गया था कि इन केंद्रों में समय समय पर सांसद स्वयं उपस्थित होंगे और जनता की समस्याओं को सुनेंगे। परंतु, जानकारी के अनुसार पांच साल में एक बार भी सांसद ने अपने समाधान केंद्र में जनता के लिए उपस्थित नहीं हुए। हालांकि, चांडिल स्थित समाधान केंद्र पूर्व विधायक स्वर्गीय साधुचरण महतो के आवास पर ही खोला गया है तो इस हिलाज से भाजपा के कार्यक्रम होते हैं। यहां भाजपा के कार्यक्रम और बैठकों में सांसद उपस्थित होते हैं लेकिन कभी भी आम जनता के लिए विशेष कार्यक्रम कभी नहीं हुआ। क्षेत्र की जनता इस आशा में रहते हैं कि जब सांसद ईचागढ़ विधानसभा क्षेत्र में आएंगे तो उन्हें अपने क्षेत्र के समस्याओं की जानकारी देंगे। परंतु आम जनता को भनक तक नहीं लगती हैं कि कब सांसद क्षेत्र में आते हैं और अपना निर्धारित कार्यक्रम संपन्न करके चले जाते हैं। कुल मिलाकर सांसद का समाधान केंद्र हाथी के बड़े दांत जैसे हैं, जो दिखने में बड़े जरूर होते हैं लेकिन हाथी उस दांत से कुछ चबाते नहीं है।
बहरहाल, अब आचार संहिता लागू हो गई हैं। अब सांसद संजय सेठ को फिर एक बार भाजपा ने अपना प्रत्याशी घोषित किया है। वह फिर से एक बार जीत हासिल करने की रणनीति में जुटे हैं। वह मोदी की गारंटी, तथाकथित राष्ट्रवादी विचारधारा और हिंदुत्व का सहारा लेकर जीत हासिल करना चाहते हैं। लेकिन सवाल वही है कि पिछले पांच साल में समाधान केंद्र के माध्यम से अथवा समाधान केंद्रों के बगैर कितने समस्याओं का समाधान हुआ? यदि किसी समस्या का समाधान नहीं भी हुआ तो सांसद पांच साल में कितनी बार आम जनता के साथ बैठक की और उनकी समस्याओं को सुना है?