पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय की राजनीतिक विरासत को संभालेंगी बेटी यशस्विनी उर्फ गौरी – इटली से की है लॉ की पढ़ाई
पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं रांची लोकसभा के पूर्व सांसद, कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में मशहूर सुबोधकांत सहाय को इस बार कांग्रेस से टिकट नहीं मिली, या यह कहें कि उन्होंने टिकट नहीं ली। बल्कि उन्होंने अपनी बेटी को राजनीति में लॉन्च किया। कांग्रेस ने रांची लोकसभा से सुबोधकांत सहाय की बेटी यशस्विनी सहाय उर्फ गौरी को बतौर प्रत्याशी घोषित कर दिया है। पिछले एक महीने से रांची लोकसभा के टिकट को लेकर दावेदारों के बीच रस्साकशी चल रही थी। सुबोधकांत सहाय, रामटहल चौधरी व मंत्री बन्ना गुप्ता को लेकर चर्चाएं चल रही थी, इस बीच रविवार को अंततः यशस्विनी सहाय को प्रत्याशी घोषित किया गया।
कांग्रेस ने रांची लोकसभा क्षेत्र के लिए युवा चेहरे पर दांव खेला है। वहीं, महिला मतदाताओं को साधने की रणनीति है। इसके लिए यशस्विनी सहाय को टिकट दिया है। टिकट की घोषणा के बाद यशस्विनी सहाय (Yashaswini Sahay) ने खुशी से कहा कि वह इस अवसर को बहुत ही संजीवनी मान रही हैं। उन्हें राजनीति में कदम रखने का उत्साह है और वह अपने कदम को आगे बढ़ाने के लिए पूरी तरह से सजग हैं। साथ ही, उन्हें समाज सेवा करने की भी ख्वाहिश है, जिसमें उन्होंने अपने पिता से बहुत कुछ सीखा है, जिन्हें काम करते हुए देखा हैं। उन्होंने बाल अधिकार के संरक्षण के क्षेत्र में वकील के रूप में भी काम किया है।
रांची लोकसभा सीट की कांग्रेस उम्मीदवार यशस्विनी सहाय पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय की पुत्री हैं। वहीं, यशस्विनी की मां रेखा सहाय भी प्रख्यात टीवी कलाकार हैं।
ट्रांसनेशनल क्राइम एंड जस्टिस, टुरिन, इटली से लॉ में मास्टर डिग्री प्राप्त कर चुकी हैं
सुबोधकांत सहाय बेटी होने के अलावा भी यशस्विनी की विशेष पहचान है। वह बाल मजदूरी और यौन शोषण के खिलाफ लड़ाई में सक्रिय रही हैं। यशस्विनी सहाय ने मुंबई से बैचलर ऑफ लॉ की डिग्री हासिल की है और इसके बाद ट्रांसनेशनल क्राइम एंड जस्टिस (यूनाइटेड नेशंस क्राइम एंड जस्टिस रिसर्च इंस्टीट्यूट), टुरिन, इटली से लॉ में मास्टर डिग्री प्राप्त कर चुकी हैं। वर्तमान में यशस्विनी मुंबई फैमिली कोर्ट और मुंबई सेशन कोर्ट में एक उत्कृष्ट वकील के रूप में सेवाएं प्रदान कर रही हैं। वह राष्ट्रीय स्तर पर संगठित गैर-सरकारी संगठन “कैलाश सत्यार्थी फाउंडेशन” से जुड़ी हुई हैं। उन्होंने मरूनालनी देशमुख (वरिष्ठ अधिवक्ता) के साथ मिलकर वहाँ कानूनी सलाहकार के रूप में भी सेवाएं प्रदान की हैं। इसके अलावा झारखंड में बाल श्रम, यौन शोषण, और पॉक्सो एक्ट के सफल कार्यान्वयन में विशेष योगदान है, इसके लिए उनके कार्यों को पीड़ितों के प्रति मानवता के सेवा में झारखंड में सराहा गया है।
अब बेटी यशस्विनी सुबोधकांत सहाय की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने का काम करेंगी। रांची सीट से कांग्रेस पार्टी के प्रबल दावेदार सुबोधकांत सहाय, जिन्हें लोकसभा चुनाव में टिकट मिलने की सबसे अधिक चर्चा थी। अब उनकी बेटी को पार्टी ने उम्मीदवार घोषित किया है। अब बेटी यशस्विनी उनकी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने का काम करेंगी। सुबोधकांत सहाय ने 2004 से लेकर अब तक निरंतर रांची लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ा है। उन्होंने 2004 और 2009 में चुनाव जीते, लेकिन 2014 और 2019 में हार का सामना किया। पहले भी 1989 के लोकसभा चुनाव में सुबोधकांत रांची से जीते थे।