शर्मनाक : सेंदरा यात्रा की खबर दबाने के लिए किया गया मीडिया मैनेज
चांडिल। शुक्रवार को चांडिल अनुमंडल के तमाम आदिवासी संगठनों द्वारा संयुक्त रूप से सेंदरा यात्रा निकाली गई थी। यह यात्रा आदिवासी नववर्ष के अवसर पर थी। सरहुल (बाहा) के दूसरे दिन चांडिल प्रखंड के खुदियाडीह से चांडिल गोलचक्कर तक निकाली गई इस सेंदरा यात्रा में बड़ी संख्या में आदिवासी समुदाय के लोग शामिल थे। इस दौरान जगह – जगह पारंपरिक बाहा गीतों पर आदिवासी महिलाओं व पुरुषों ने नृत्य किया। हजारों की संख्या में शामिल आदिवासियों के हाथों में पारंपरिक हथियार और सरना झंडे भी थे। चांडिल अनुमंडल क्षेत्र के मीडिया कर्मियों के लिए यह कार्यक्रम बड़ी खबर थी। लोगों के बीच अभी तक सेंदरा यात्रा कार्यक्रम चर्चा का विषय बना हुआ है। परंतु, यहां शर्मनाक बात यह है कि इस कार्यक्रम की खबर मीडिया में न आए इसके लिए पुरजोर प्रयास किया गया है। बताया जा रहा है कि सत्ताधारी दल से जुड़े एक नेता द्वारा चांडिल अनुमंडल के कतिपय पत्रकारों को मैनेज किया गया है। ताकि, सेंदरा यात्रा की खबर तथाकथित ब्रांडेड अखबारों में प्रकाशित न हो। ऐसा हुआ भी कि आज कुछ तथाकथित ब्रांडेड अखबारों में यह खबर नहीं है। सेंदरा यात्रा की खबर प्रकाशित न करने के एवज में उन अखबारों से जुड़े पीत पत्रकारों के सिर पर चांदी के जूते चढ़ाए गए हैं। स्वाभाविक तौर पर सेंदरा यात्रा के कार्यक्रम में विभिन्न राजनीतिक दलों से जुड़े आदिवासी नेता और कार्यकर्ता शामिल थे। कार्यक्रम में शामिल कुछ नेताओं के विरोधी हैं जो उन्हीं के दल से जुड़े हुए लोग हैं, जिन्होंने कार्यक्रम की खबर को दबाने के लिए कतिपय पत्रकारों को मैनेज किया है। यह कदापि महज संयोग नहीं हो सकता है कि एक साथ कई अखबारों में इतने बड़े कार्यक्रम की खबर नहीं है। मजे की बात यह है कि प्रकाशित न होने के पीछे पीत पत्रकारों द्वारा बेहूदा कारण बताकर पाठकों को बेवकूफ बनाने का प्रयास किया जा रहा है। जबकि, साधारण और छोटे मामलों को तूल देकर प्रमुखता से प्रकाशित की जाती हैं। यहां सेंदरा यात्रा दिनभर चली और सभी मीडिया कर्मियों को इसकी जानकारी थी। खबर कवरेज करने और उसे कार्यालय तक ईमेल से भेजने के लिए भी पर्याप्त समय था। मसलन, अब तक खबर प्रकाशित करने के लिए मीडिया मैनेज करने बातें सुनने मिलती थी लेकिन अब खबर को प्रकाशित नहीं करने के लिए भी मीडिया मैनेज होनेलगे हैं। जरा सोचिए कि ऐसे ही चंद पीत पत्रकारों के चलते पूरा मीडिया जगत बदनाम हो जाता हैं। लोकतंत्र में चौथे स्तंभ का दर्जा देकर पत्रकारों को जनता बड़े ही आदर और सम्मान से समाज में स्थान देती हैं लेकिन हमारे ही बीच में से चंद पत्रकारों के कारनामों के कारण समस्त मीडिया जगत को शर्मिंदगी महसूस होती हैं।