आदिवासी, पिछड़ी, सवर्ण व मुस्लिम समीकरण से भाजपा को पटखनी देने की तैयारी – रांची लोकसभा से चर्चाओं में है मंत्री बन्ना गुप्ता का नाम, कांग्रेस कभी भी सकती है आधिकारिक घोषणा
रांची/जमशेदपुर। राजधानी रांची लोकसभा सीट से इंडिया गठबंधन ने अबतक अपना प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। इंडिया गठबंधन और एनडीए गठबंधन दोनों ही खेमें के कार्यकर्ताओं से लेकर मतदाताओं के मन में सवाल है कि आखिर इंडिया गठबंधन ने अबतक रांची लोकसभा सीट के निर्णय को होल्ड मोड पर क्यों रखा है? आखिर प्रत्याशी की घोषणा क्यों नहीं की जा रही हैं? इंडिया गठबंधन में रांची लोकसभा सीट कांग्रेस की झोली में आई है लेकिन कांग्रेस ने अपना पत्ता नहीं खोला है। ऐसा करके कांग्रेस ने चुनावी मौसम में सस्पेंस बरकरार रखा है, जिससे भाजपा आलाकमान भी परेशान हैं। हो सकता है कि भाजपा के सभी पत्ते खत्म होने के बाद कांग्रेस अपना इक्का सामने लाने की तैयारी में है। भाजपा सांसद और इस बार फिर से प्रत्याशी बनाए गए संजय सेठ को अबतक यह पता नहीं चल पाया है कि उनका मुख्य प्रतिद्वंद्वी कौन होगा? संभवतः एक दो दिन में कांग्रेस की ओर से रांची लोकसभा के लिए प्रत्याशी घोषित किया जाएगा।
रांची सीट को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही हैं। राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म है कि रांची लोकसभा से सूबे के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता कांग्रेस के प्रत्याशी होंगे। सूत्रों की मानें तो कांग्रेस थिंक टैंक रांची सांसद संजय सेठ की राजनीतिक कमजोरियों का आकलन कर रही हैं। सांसद से नाराज चल रहे लोगों से कांग्रेस ने संपर्क करना शुरू कर दिया है। भाजपा, आजसू, आरएसएस, बजरंग दल समेत अन्य सामाजिक संगठनों से जुड़े जो लोग सांसद से नाराज चल रहे हैं, वैसे सभी लोगों से कांग्रेस आलाकमान सीधे संपर्क कर रही हैं और उनका सुझाव जानने की कोशिश में है। कांग्रेस का यह फॉर्मूला बड़ा ही नायाब है जो अपने ही विरोधियों के खेमे में घुसकर सुझाव ले रही हैं। भले ही कांग्रेस का यह फॉर्मूला आश्चर्यजनक लगे, लेकिन जरा सोचिए कि जब सांसद संजय सेठ की एक – एक कमजोरी की जानकारी कांग्रेस के रणनीतिकारों के पास होगी तो चुनाव का नजारा क्या होगा? रांची लोकसभा की जातीय समीकरण को साधने के लिए कांग्रेस हर वह प्रयास कर रही हैं, जिससे भाजपा को पटखनी देने में आसानी हो।
बताया जाता है कि रांची लोकसभा सीट पर आदिवासी, पिछड़ी व मुस्लिम की बड़ी आबादी है। इसके बाद सवर्ण और दलित की आबादी हैं। पिछले दो दशक के मतों का आंकड़ा देखें तो लोकसभा चुनाव में रांची लोकसभा सीट से आदिवासी और मुस्लिम वोट का झुकाव हमेशा कांग्रेस की ओर रही हैं। वहीं, लहर के हिसाब से कभी भाजपा तो कभी कांग्रेस में सवर्ण, दलित और पिछड़ी वोट अपना पाला बदलती रहती हैं, यह आंकड़ा भी दो दशक के मतगणना रिपोर्ट में देखा जा सकता है। सीएए, एनआरसी, ट्रिपल तलाक जैसे मुद्दों को लेकर मुस्लिम समुदाय भाजपा से नाराज हैं। वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी से आदिवासी समुदाय केंद्र सरकार से नाराज हैं। दूसरी ओर झामुमो और कांग्रेस गठबंधन में है। आदिवासियों का झुकाव हमेशा झामुमो की ओर रहा है और अब पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जेल भेजे जाने के बाद आदिवासियों का आक्रोश चरम पर है। ऐसे में आदिवासियों का वोट अपने पाले में लाना भाजपा के लिए बड़ी चुनौती है।
बन्ना गुप्ता स्वयं पिछड़ी जाति से आते हैं। वहीं, सवर्ण समाज के लोगों के बीच भी बन्ना गुप्ता की अच्छी खासी लोकप्रियता है। रांची और जमशेदपुर में मारवाड़ी समाज में बन्ना गुप्ता की पकड़ सभी जानते हैं। विधायक सरयू राय राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी हैं, इसके चलते राजपूतों का एक धड़ा मंत्री बन्ना गुप्ता के विरोध में रहते हैं लेकिन ब्राम्हण, भूमिहार, कायस्थ जैसे सवर्ण जातियों के लोग बन्ना गुप्ता पर किस कदर प्यार लुटाते हैं, यह जमशेदपुर में अनेकों बार देखने को मिला है। यदि आदिवासी, पिछड़ी, सवर्ण और मुस्लिम समीकरण को साधने में कांग्रेस के रणनीतिकार सफल हो जाते हैं तो उसी लहर में दलितों का वोट भी आ सकता है। ऐसे में यदि कांग्रेस से बन्ना गुप्ता को प्रत्याशी घोषित किया जाता हैं तो भाजपा प्रत्याशी संजय सेठ की राह आसान नहीं होगी। उधर, कांग्रेस नेता राहुल गांधी लगातार आदिवासी, पिछड़ी, दलित और अल्पसंख्यक समुदाय की बात मुखर होकर कर रहे हैं। वह जातीय जनगणना की मांग करके इन समुदायों को अपने पाले में लाने के प्रयास में है, जबकि भाजपा हिंदुत्व, राष्ट्रवाद और डेवलपमेंट के मुद्दे पर तीसरी बार केंद्र सरकार में काबिज होने का प्रयास कर रही हैं।
बहरहाल, अब देखने वाली बात होगी कि रांची लोकसभा में कांग्रेस जातीय समीकरण साधने में सफल होती हैं या फिर भाजपा के संजय सेठ हिंदुत्व और मोदी की गारंटी वाली नाव पर सवार होकर फिर एक बार सदन पहुंचते हैं।
जानिए अबतक इंडिया ने झारखंड के किन सीटों पर की है प्रत्याशियों की घोषणा
लोकसभा चुनाव 2024 की रणभूमि में झारखंड की राजनीति दिलचस्प होती जा रही हैं। झारखंड के 14 सीट पर एनडीए गठबंधन ने अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है, जिसमें से 13 भाजपा तथा एक सीट आजसू को मिली है। आदर्श आचार संहिता लागू होने से पहले ही भाजपा ने 11 लोकसभा सीट पर प्रत्याशियों के नाम की घोषणा करके झारखंड में राजनीतिक माहौल को अपने पक्ष में लाने का पूरा प्रयास किया था। लेकिन इंडिया गठबंधन ने प्रत्याशियों की घोषणा करने में कछुआ गति अपनाई है, जिससे एनडीए गठबंधन असमंजस में है।
धीरे धीरे कछुआ गति अपनाकर इंडिया गठबंधन ने अबतक झारखंड में 9 लोकसभा सीटों पर अपना प्रत्याशी घोषित किया है। जबकि, रांची, जमशेदपुर, धनबाद, गोड्डा व चतरा की सीट से प्रत्यशियों का नाम स्पष्ट नहीं हुआ है। 14 लोकसभा सीट में से रांची, लोहरदगा, खूंटी, हजारीबाग, धनबाद, गोड्डा व चतरा की सीट कांग्रेस के हिस्से में है और जमशेदपुर, सिंहभूम, गिरिडीह, दुमका, राजमहल झामुमो के खाते में गई हैं। वहीं, कोडरमा – भाकपा माले तथा – पलामू – राजद की झोली में पड़ी है।
कांग्रेस ने लोहरदगा से सुखदेव भगत, हजारीबाग से जयप्रकाश भाई पटेल, खूंटी से कालीचरण सिंह मुंडा पर दांव खेला है। जबकि, झामुमो ने झामुमो ने गिरिडीह से मथुरा प्रसाद महतो, सिंहभूम से जोबा मांझी, दुमका से नलिन सोरेन तथा राजमहल से बिजय हांसदा को अपना प्रत्याशी घोषित किया है।वहीं, कोडरमा से भाकपा माले ने विधायक बिनोद सिंह को तथा ममता भुइयां को राजद ने पलामू से अपना प्रत्याशी बनाया है। अभी भी रांची, जमशेदपुर, चतरा, गोड्डा, धनबाद सीट से प्रत्याशी घोषित नहीं किया गया है। सूत्रों की मानें तो इन पांच सीटों को लेकर कांग्रेस, झामुमो व राजद में खींचतान चल रही हैं।
बताया जा रहा है कि राजद पलामू के अलावा चतरा पर भी दावा कर रही हैं, जबकि कांग्रेस देने को तैयार नहीं है। वहीं, झामुमो की ओर से गोड्डा पर दावा किया जा रहा है। वहीं, कांग्रेस जमशेदपुर सीट लेना चाहती हैं। इस तरह से सीटों पर उलट फेर करने की मांग के कारण कांग्रेस आलाकमान ने फिलहाल अपने निर्णय पर विराम लगा दी है। लेकिन माना जा रहा है कि एक दो दिन में शेष सभी सीटों से प्रत्याशी घोषित किया जाएगा।