जहां सरकारी व्यवस्था पड़ गई ढ़ीली तो पूर्व पंचायत समिति गुरुचरण साव के प्रयास से आदिम जनजाति बहुल इस गांव को ढाई महीने बाद मिली सुविधा
चांडिल। प्रखंड के चावलीबासा निवासी एवं पूर्व पंचायत समिति सदस्य गुरुचरण साव आए दिन किसी न किसी कारणों से सुर्खियों में बने रहते हैं। कभी जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए चर्चाओं में रहते हैं तो कभी चांडिल डैम विस्थापितों के आंदोलन में सक्रिय होकर प्रशासन की नींद उड़ाने के लिए खबरों की सुर्खियां बटोर लेते हैं। वैसे इस बार भी गुरुचरण साव ने कोई साधारण काम नहीं किया है। गुरुचरण साव के प्रयास से चांडिल प्रखंड के एक आदिम जनजाति बहुल गांव के घरों में रौशनी लौटी है। बताया जा रहा है कि चांडिल प्रखंड के मातकमडीह पंचायत अंतर्गत गुंगूकोचा का एकमात्र बिजली ट्रांसफार्मर जलकर खराब हो गया था। ढाई महीने तक सरकारी व्यवस्था इस गांव तक नहीं पहुंची, जिसके कारण ग्रामीणों ने बिजली की सुविधा पाने की आशा छोड़ दी थी। इस बीच कहीं से इस बात जानकारी गुरुचरण साव को मिली तो उन्होंने तूट मामले को ट्वीट के माध्यम से सूबे के मुख्यमंत्री तथा जिला के उपायुक्त को जानकारी दी। वहीं, उन्होंने इस मामले को चांडिल क्षेत्र के सक्रिय व्हाट्सएप ग्रुप Yuth Power चांडिल अनुमंडल पर साझा की, जहां ग्रुप के सदस्यों ने मामले को लेकर लगातार रीट्वीट किया। साथ ही ग्रुप के सक्रिय सदस्य तथा पत्रकार गुलाम रब्बानी ने बिजली विभाग के अधिकारियों से फोन पर बात की और ट्रांसफार्मर बदलने की मांग की। गुरुचरण साव द्वारा ट्वीट किए जाने के ठीक दो दिन बाद ही बिजली विभाग ने ट्रांसफार्मर बदल दिया और गांव में पुनः बिजली बहाल हुई। इस प्रकार ढाई महीने बाद गुरुचरण साव के प्रयास से आदिम जनजाति घरों में रौशनी आई। रविवार को आदिम जनजाति परिवारों ने पूर्व पंचायत समिति सदस्य गुरुचरण साव को अपने गांव आमंत्रित करके उनका अभिनंदन किया। वहीं, गुरुचरण साव के हाथों नए ट्रांसफार्मर का उद्घाटन करवाया।
इस खबर को पढ़ने के बाद अधिकांश पाठकों के मन में यही सवाल आएगी कि आखिर ट्रांसफार्मर बदलना कौन सी बड़ी बात है? पर, यहां केवल ट्रांसफार्मर बदलने की बात नहीं, बल्कि आदिम जनजाति परिवारों की चिंता करना और उन्हें सुविधा उपलब्ध कराने में सफल होना ही अपने आप मे बड़ी बात है। जिन आदिम जनजाति परिवारों के लिए केंद्र और राज्य सरकार प्रतिवर्ष लाखों करोड़ों रुपए खर्च कर रही हैं, वह जनजाति ढाई महीने तक बगैर बिजली के अपना जीवन बिताया है। शहर और कस्बों में रह रहे लोग दो घंटे की बिजली कटौती से परेशान हो जाते हैं। यहां आश्चर्यजनक बात यह है कि ढाई महीने तक ट्रांसफार्मर खराब होने के बावजूद बिजली विभाग अथवा जिला प्रशासन के अधिकारियों ने मामले को संज्ञान नहीं लिया था। जबकि मामला आदिम जनजाति समुदाय से जुड़ा हुआ है।
बहरहाल, अब गुरुचरण साव के प्रयास से गुंगूकोचा के आदिम जनजाति घरों में बिजली बहाल हो चुकी हैं, उनके घरों में लाइटें जलना शुरू हो चुका है, जनजाति परिवार के सदस्यों के चेहरे पर खुशी देखने को मिल रही हैं। यही तो वास्तविक समाजसेवा।