ईचागढ़ : देवलटांड दिगंबर जैन मंदिर में मुनि दीक्षा दिवस पर महाराज का चरण चिन्ह हुआ स्थापित
चांडिल। ईचागढ़ प्रखंड के देवलटांड स्थित प्राचीन दिगंबर जैन मंदिर (देवल) में आचार्य रत्न 108 श्री ज्ञानसागर जी महाराज का 37वां मुनि दीक्षा दिवस धुमधाम के साथ मनाया गया। मुनि दीक्षा दिवस के अवसर पर ईचागढ़ प्रखंड के देवलटांड में बड़ी संख्या में जैन धर्मावलंबियों के साथ अन्य श्रद्धालु पहुंचे थे। कार्यक्रम का आयोजन संघस्थ क्षुल्लिका 105 आप्तमति माताजी, ब्रह्मचारिणी विदुषी अनीता दीदी, मंजुला दीदी, ललिता दीदी और ब्रह्मचारी मनीष भैया के सानिध्य में किया गया। गुरुवंदन के साथ शुरू हुए कार्यक्रम में देवलटांड के बच्चियों ने उपस्थित लोगों का गीत व नृत्य से स्वागत किया। मौके पर माताजी ने कहा कि आचार्य श्री ने इस क्षेत्र के लोगों को एकजुट करने का काम किए थे। उन्होंने इस क्षेत्र के अलावा पश्चिम बंगाल, ओडिशा और बिहार क्षेत्र के सराक बहुल क्षेत्र में भ्रमण कर लोगों को जोड़ने का काम किए थे। देवलटांड ग्रामवासी और सकल सराक जैन समाज झारखंड प्रांत की ओर से आयोजित मुनि दीक्षा दिवस को लेकर माताजी और दीदीजी बीते गुरुवार को ही देवलटांड पहुंचे थे।
इस कार्यक्रम के दौरान देवलटांड स्थित प्राचीन दिगंबर जैन मंदिर परिसर में आचार्य रत्न 108 श्री ज्ञानसागर जी महाराज का चरण चिन्ह विधिवत स्थापित किया गया। यहां चरण छतरी का भी निर्माण कराया जाएगा, जिसका भूमिपूजन के साथ शिलान्यास किया गया। इसके पूर्व आचार्य शांतिसागर क्षाणी जी महाराज, आचार्य सुमतिसागर जी महाराज और सराकोद्धारक आचार्य ज्ञानसागर जी महाराज के फोटो का अनावरण किया गया। कार्यक्रम में सुबह अभिषेक करने के साथ शांतिधारा का आयोजन किया गया। इसके बाद नित्यम्ह पूजन के बाद आचार्य श्री के चरण चिन्ह का प्रक्षालन किया गया। वहीं, चरण छत्री का शिलान्यास किया गया। शिलान्यास कार्यक्रम के बाद महाअर्चना, महाआरती और गुणानुवाद सभा का आयोजन किया गया।
मुनि दीक्षा दिवस कार्यक्रम में देवलटांड के अलावा आसपास के सराग बहुल क्षेत्रों से बड़ी संख्या में लोग जुटे थे। वहीं रांची, बोकारो और जमशेदपुर से भी जैन धर्मावलंबी कार्यक्रम में शामिल हुए। आयोजन को सफल बनाने में देवलटांड के गैर जैनियों का भी सराहनीय योगदान रहा। मुनि दीक्षा दिवस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए समूचा गांव एकजुटता का परिचय दिया। आचार्य रत्न 108 श्री ज्ञानसागर जी महाराज समय-समय पर देवलटांड स्थित प्राचीन दिगंबर जैन मंदिर पहुंचते थे और स्थानीय सराग बंधुओं से मिलते थे।
विदित हो कि 31 मार्च 1988 को अनेक चमत्कारों के साक्षी भगवान चंद्रप्रभु जी के समक्ष सोनागिर सिद्धक्षेत्र में आचार्य सुमतिसागर जी महाराज ने दो दिगंबर जैनेश्वरी दीक्षाएं प्रदान की और क्षुल्लक गुण सागर जी के ज्ञान के क्षयोपशम को देखते हुए उन्हे दिगंबर मुनि श्री ज्ञान सागर महाराज के नाम से घोषित किया था। कार्यक्रम में संजय पाटनी, मदन मोहन माझी, राजेंद्र नाथ माझी, सृष्टिधर माझी, गौरांग माझी, रमेश माझी, निर्मल माझी, नंदकिशोर माझी, दिलीप माझी, जगदीश माझी, अजीत माझी समेत अन्य का सराहनीय योगदान रहा।