जनप्रतिनिधियों के निकम्मेपन और वन विभाग के अधिकारियों की लूट के कारण दलमा का विकास नहीं हो रहा : जेबीकेएसएस
जमशेदपुर। दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी तथा इको सेंसेटिव जोन क्षेत्र के अधीन रह रहे ग्रामीणों को मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। वन विभाग और सरकार का दायित्व बनता है कि दलमा पहाड़ी क्षेत्र के अधीन रह रहे लोगों को स्वरोजगार समेत तमाम मूलभूत सुविधाओं की आपूर्ति करें। उक्त बातें जेबीकेएसएस केंद्रीय महासचिव विश्वनाथ महतो ने कहा है। उन्होंने स्थानीय जनप्रतिनिधियों और वन विभाग के अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाया है। विश्वनाथ महतो ने कहा कि क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों के निक्कमेपन तथा वन विभाग के अधिकारियों की लूट के कारण दकमा का समुचित विकास नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा कि वन विभाग के अधिकारी स्वयं विभागीय नियमों और नीतियों का पालन नहीं कर रहे हैं। दूसरी ओर क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों को दलमा के विकास में कोई दिलचस्पी नहीं है। यही कारण है कि इको सेंसेटिव जोन के अधीन बसे हुए गांवों का समुचित विकास नहीं हो रहा है। वन विभाग के अधिकारियों ने सरकारी राशि की लूट मचा रखी है। उन्होंने कहा कि इको विकास समिति को स्वरोजगार से जोड़ने तथा दलमा के संरक्षण में उनके योगदान की योजना है लेकिन वन विभाग के अधिकारी इको विकास समिति के नाम पर ग्रामीणों को ठगने का काम कर रहे हैं और सरकारी राशि का बंदरबांट कर रहे हैं। विश्वनाथ महतो ने कहा कि प्रतिवर्ष सभी 85 इको विकास समिति का अंकेक्षण और उनके प्रगति की समीक्षा होनी चाहिए, ताकि पता चल सके कि आखिर कितने ग्रामीणों को स्वरोजगार मिल रही हैं।
बता दें कि दलमा इको सेंसेटिव जोन के तहत 85 गांव पूर्ण प्रभावित हैं। इन गांवों के ग्रामीणों का एक समूह तैयार किया गया, जिसे इको विकास समिति कहा जाता है। इस समिति के माध्यम से गांव का विकास, जंगल, पेड़ पौधे, वन्य प्राणी का संरक्षण, ग्रामीणों को स्वरोजगार, प्रशिक्षण इत्यादि सुविधा देने का प्रावधान किया गया है। परंतु धरातल पर देखें तो एक – दो समिति को छोड़कर अन्य समितियों एवं गांवों में वन विभाग की योजना नहीं पहुंची है।