राजनीति करने के लिए याद किए जाते हैं दिवंगत नेता – सीएम हेमंत, बाबूलाल, सुदेश, जयराम सब भूल गए दिवंगत राजनेता सुधीर महतो को……..
डेस्क। ख़लील-उर-रहमान आज़मी ने अपने शायरी में कहा है “जाने क्यूँ इक ख्याल सा आया, मैं न रहूंगा तो क्या कमी होगी”। आज झारखंड के पूर्व उपमुख्यमंत्री दिवंगत राजनेता सुधीर महतो की 10वीं पुण्यतिथि है। पर, आज उन तमाम नेताओं ने श्रद्धांजलि अर्पित नहीं किया, जो अक्सर अपने भाषणों में स्वर्गीय सुधीर महतो का नाम लेते हैं। झारखंड, बिहार, बंगाल में राजनीतिक जगत के हस्तियों में विख्यात दिवंगत सुधीर महतो को श्रद्धांजलि देने वाली सोशल मीडिया पोस्ट भी न के बराबर रही। यहां तक की जिस झारखंड मुक्ति मोर्चा में रहते हुए सुधीर महतो ने डिप्टी सीएम, नेता प्रतिपक्ष और संगठन में केंद्रीय उपाध्यक्ष का दायित्व निर्वहन किया था, आज उस पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष एवं सूबे के सीएम हेमंत सोरेन भी सुधीर महतो को श्रद्धांजलि अर्पित करने से चूक गए। सुधीर महतो के राजनीतिक साथी रहकर विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करने वाले एवं सदन के कैंटीन में एकसाथ बैठकर भोजन करने वाले पूर्व मुख्यमंत्री एवं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी, आजसू प्रमुख, पूर्व उपमुख्यमंत्री सुदेश कुमार महतो ने भी आज श्रद्धांजलि अर्पित नहीं किया। वहीं, इन दिनों झारखंड की राजनीति में स्वयं को कुडमियों का सबसे बड़ा चेहरा स्थापित करने की जुगत में जुटे जयराम महतो भी अपने ही समाज के दिवंगत राजनेता सुधीर महतो को भूल गया। इन प्रमुख नेताओं समेत कई मंत्री, सांसद, विधायक और पार्टियों के पदाधिकारी हैं, जिन्होंने सोशल मीडिया पर भी श्रद्धांजलि अर्पित नहीं की। ऐसे में सवाल है कि क्या राजनीति के लिए ही याद किए जाते हैं दिवंगत नेता?
जिस सुधीर महतो ने अलग झारखंड आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिन्होंने अपनी सम्पूर्ण राजनीतिक जीवन झारखंड मुक्ति मोर्चा को आगे बढ़ाने के लिए लगा दिया, आज उन्हें उनकी पार्टी भी भूल गई। ईचागढ़ विधानसभा क्षेत्र से दो बार विधायक रहे सुधीर महतो की पुण्यतिथि पर आज वैसा कोई कार्यक्रम नहीं हुआ, जैसा होना चाहिए था यह दुर्भाग्यपूर्ण है। एक – दो जगहों में साधारण कार्यक्रम हुए, जहां नामी गिरामी नेताओं की अनुपस्थिति रही। आज वह नारे याद आ रहे हैं जब सुधीर महतो का निधन हुआ था और ईचागढ़ विधानसभा क्षेत्र में उनकी शवयात्रा निकली थी। उस समय झामुमो के नेताओं व कार्यकर्ताओं ने बड़े जोर शोर से “जब तक चांद सूरज रहेगा, सुधीर दा आपका नाम रहेगा” के नारे लगाए थे। पर, क्या हुआ कि उनकी 10 वीं पुण्यतिथि में सुधीर दा को ईचागढ़ झामुमो के लोग भूल गए। झामुमो के कार्यकर्ताओं ने एक – दो जगहों पर श्रद्धांजलि अर्पित की, इसके अलावा अन्य दलों के नेताओं ने भी श्रद्धांजलि अर्पित नहीं किया। क्या ऐसे में यह मान लिया जा सकता है कि दिवंगत नेताओं को केवल राजनीतिक लाभ के लिए ही याद किए जाते हैं? हालांकि, सुधीर महतो के जमशेदपुर – कदमा स्थित आवास पर उनकी प्रतिमा स्थापित है, जहां आज उनकी धर्मपत्नी ईचागढ़ विधायक सबिता महतो और विधायक रामदास सोरेन ने श्रद्धांजलि अर्पित की। पर, यहां काफी कम लोग उपस्थित रहे।